उत्तर प्रदेश के इन चार और शहरों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू करने की तैयारी में योगी सरकार
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उत्तर प्रदेश के इन चार और शहरों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू करने की तैयारी में योगी सरकार

यूपी में 10 लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने की योजना है. वर्तमान में लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, वाराणसी और कानपुर में इस प्रणाली को लागू किया जा चुका है.

सांकेतिक तस्वीर.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चार और शहरों में जल्द ही पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया जा सकता है. योगी आदित्यनाथ सरकार ने गृह विभाग को इसके लिए समीक्षा का निर्देश ​दे दिया है. यूपी में 10 लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने की योजना है. वर्तमान में लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, वाराणसी और कानपुर में इस प्रणाली को लागू किया जा चुका है.

योगी सरकार ने आगरा, मेरठ, गाजियाबाद और प्रयागराज में भी यह व्यवस्था लागू करने का विचार बनाया है. सीएम योगी के निर्देश पर मौजूदा समय में लागू पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली वाले शहरों लखनऊ, कानपुर, नोएडा और वाराणसी की समीक्षा की जा रही है. इसको लेकर डीजीपी मुख्यालय में एक कमेटी बनाई गई है जो पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था की कमियां और सुधार के संबंध में मंथन करेगी. डीजीपी मुकुल गोयल खुद पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम वाले चारों शहरों की समीक्षा कर रहे हैं.

पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने से क्या होंगे बदलाव
भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं. डीएम पद पर आईएएस अधिकारी बैठते हैं. लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है. वर्तमान व्यवस्था में पुलिस अधिकारी भी डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश अनुसार ही कार्य करते हैं. 

पुलिस कमिश्नरी सिस्टम सामान्य प्रणाली से कैसे अलग
पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होते ही एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रियल पावर पुलिस को मिल जाएगी. इससे पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकेगी, इसके लिए डीएम से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी. जिले की कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसले लेने का अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होगा. होटल लाइसेंस, बार लाइसेंस, हथियार लाइसेंस देने का अधिकार भी पुलिस के पास आ जाएगा. 

DM और SDM के कई अधिकार पुलिस को मिल जाते हैं
धरना प्रदर्शन की अनुमति देना ना देना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो यह भी पुलिस ही तय कर सकेगी. जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस को मिल जाएगा. पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है. देश के ज्यादातर महानगरों में यह प्रणाली लागू की गई है. सीआरपीसी के तहत कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं. इस प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही मजिस्ट्रेट पॉवर का इस्तेमाल करती है.

पुलिस कमिश्नरी सिस्टम किस तरह​ काम करता है समझें
जिस शहर में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होती है वहां पुलिस कमिश्नर का दफ्तर बनाया जाता है. एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है. महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है. हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है, जो एसएसपी यानी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के बराबरी का पद होता है. उस पूरे जोन में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी डीसीपी की होती है. हर जोन में एसीपी तैनात होते हैं, ​जो 2 से 4 थानों की जिम्मेदारी देखते हैं, यानी सामान्य पुलिसिंग में सीओ का पद.

पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पद

पुलिस आयुक्त या कमिश्नर ऑफ पुलिस- सीपी
संयुक्त पुलिस आयुक्त या जॉइंट पुलिस कमिश्नर– जेसीपी
उप पुलिस आयुक्त डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस– डीसीपी
सहायक पुलिस आयुक्त या असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस- एसीपी
पुलिस इंस्पेक्टर – पीआई
सब-इंस्पेक्टर – एसआई

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