कानून के अंतर्गत 1 से 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है.
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लखनऊ: यूपी सरकार की कैबिनेट से पास होने के बाद 'लव जिहाद' अध्यादेश को राज्यपाल से भी मंजूरी मिली गई है. इस मंजूरी के साथ ही इस अध्यादेश ने कानून की शक्ल ले ली है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में लव जिहाद मामलों में अब कठोर सजा मिलेगी. कुछ दिनों पहले ही योगी कैबिनेट से पास होने के बाद अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था.
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हो सकती है 10 साल की सजा
'लव जिहाद' को लेकर ऐसा कानून बनाने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है. इसमें दो अलग धर्मों के लोगों के बीच होने वाले विवाह को रखा गया है. अगर अलग-अलग धर्मों के लोग आपस में शादी करते हैं. और जांच में पाया जाता है कि इसका मकसद धर्म परिवर्तन कराना था, तो इस कानून के तहत सजा होगी. कानून के अंतर्गत 1 से 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है.
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कानून के कुछ मुख्य प्रावधान
अगर अपराध साबित होता है, तो 10 से 50 हज़ार रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है. वहीं, अगर महिला सामान्य वर्ग से है तो अपराधी को 1 से 5 वर्ष की सजा होगी. साथ ही अगर लड़की नाबालिग है या फिर अनुसूचित जाति और जनजाति से है, तो सजा बढ़कर 3 से 10 वर्ष की हो सकती है. सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर भी से 10 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है. सहमति से धर्म परिवर्तन कराने के लिए जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी. बिना मंजूरी के धर्म परिवर्तन कराने पर 6 महीने से 3 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है. ख़ास बात है कि सभी मामलों में गैर ज़मानती धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा
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