Amroha Ka Itihaas: आम और रोहू से कैसे बना अमरोहा? तीन हजार साल पहले हस्तिनापुर के राजा ने रखी थी शहर की नींव
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Amroha Ka Itihaas: आम और रोहू से कैसे बना अमरोहा? तीन हजार साल पहले हस्तिनापुर के राजा ने रखी थी शहर की नींव

Amroha Ka Itihaas: वैसे तो यूपी के हर जिले और शहर का अपना एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है, लेकिन आज हम उस शहर की बात करेंगे, जिसकी ढोलकों की थाप पर दुनिया थिरकती है. जहां के आम ने विदेशों में अलग जगह हासिल की है. आइए जानते हैं उसका पूरा इतिहास.

Amroha Ka Itihaas

Amroha Ka Itihaas: यूपी का हर जिला और हर शहर अपने गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए है. कई ऐसे भी जिले और शहर हैं, जिसने पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है. आज हम ऐसे ही एक शहर की बात कर रहे हैं, जिसकी ढोलकों की थाप पर पूरी दुनिया थिरकती है, जहां के आम ने विदेशों में अलग ही जगह बनाई है. जहां के शायर जॉन एलिया की शायरी आज भी आशिकों के जुबान पर छाई हुई है. जहां के गेंदबाज मोहम्मद शमी ने बल्लेबाजों की फिरकनी बना दी. अगर आप थोड़ा और पीछे जाएंगे तो उस शहर के फिल्मकार कमाल ने पाकीजा जैसी फिल्में दीं. जहां की बेटी अबादी बानो बेगम ने अंग्रेजी हुकूमत को हिला दी. वो शहर है- अमरोहा. इस शहर का इतिहास बहुत रोचक है. 

अमरोहा उत्तर पश्चिमी यूपी में मुरादाबाद के पास एक छोटा सा शहर है. इसका नाम आम और रोहू मछली से लिया गया है. इस शहर को पहले ज्योतिबा फुले नगर कहा जाता था, लेकिन 2012 में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कहने पर इसे बदलकर अमरोहा कर दिया था. 

कब हुई थी शहर की स्थापना?
मुरादाबाद से तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस शहर की स्थापना लगभग 3,000 ई० पूर्व में हुई थी. इस्लामी शासन काल से पहले यहां पर त्यागियों ने शासन किया. यहां आम और मछली काफी भारी मात्रा में मिलते हैं. इस शहर को पहले ज्योतिबा फुले नगर कहा जाता था. ऐसा भी कहा जाता है कि जब इस जगह पर जनाब हज़रत शरफुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह आए थे, तब लोगों ने उन्हें आम और मछली पेश की थी. इसके बाद ही से इस शहर को अमरोहा के नाम से जाना जाने लगा. यह छोटा सा शहर वास्तव में ढोलक और तबला निर्माण का केंद्र है.

नामकरण के दिलचस्प किस्से
जब लगभग तीन हजार साल पहले अमरोहा की स्थापना हस्तिनापुर के राजा अमरजिद ने की थी. तब संभवत: उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम अमरोहा पड़ा. अमरोहा को प्राचीन समय में अंबिका नगर कहा जाता था, जो कि दिल्ली के राजा पृथ्वीराज की बहन अंबीरानी के नाम पर पड़ा था.

मुरादाबाद का हिस्सा था पहले
ज्योतिबा फुले नगर पहले मुरादाबाद जिले का ही एक हिस्सा हुआ करता था. तब इसे अमरोहा कहा जाता था. इस जगह को 24 अप्रैल 1997 को संत महात्मा ज्योतिबा फुले की याद में एक अलग जिला बनाया गया और ज्योतिबा फुले नगर जिला के रूप में घोषित किया गया. गंगा और कृष्णा यहां की प्रमुख नदियां है.  

शहर में क्या है खास?
अमरोहा शहर में घूमने की कई जगहें हैं, जिनमें वसुदेव मंदिर, तुलसी पार्क, गजरौला, रजाबपुर, कंखाथर और तिगरी प्रमुख हैं. अमरोहा पहले बड़ा नगर हुआ करता था. ये शहर कृषि उत्पादों की मंडी होने के साथ-साथ हथकरघा वस्त्र, मिट्टी के बर्तन उद्योग और चीनी की मिलों के लिए जाना जाता है. यहां आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के अलावा मुस्लिम पीर शेख़ सद्दू की दरगाह भी है.

ढोलक के कारोबार की वजह 
पूरे देश में अमरोहा के ढोल खासे मशहूर है. होली पर तो देशभर के लोग अमरोहा के ढोल की थाप पर एक साथ नाचते गाते हैं. यहां का ढोल सामाजिक पर्वों पर आपसी प्रेम और सद्भाव को देशभर में फैलाता है. आम के बाग बहुतायत होने की वजह से अमरोहा में ढोलक कारोबार का जन्म हुआ. यहां पर कुछ ऐसी ढोलक बनाई जाती हैं, जो पूरे देश में कहीं नहीं मिलती. यहां मुख्य रूप से ढोलक और तबला बनाने वाले हुनरमंद कारीगर काम करते हैं. 

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