Jaunpur Ka Itihaas:दधीचि ने जहां दान की अस्थियां, 1200 साल पहले बाढ़ में बहा,‌ जानें यवनपुर से बने जौनपुर का इतिहास
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Jaunpur Ka Itihaas:दधीचि ने जहां दान की अस्थियां, 1200 साल पहले बाढ़ में बहा,‌ जानें यवनपुर से बने जौनपुर का इतिहास

Jaunpur Ka Itihaas: वैसे तो गंगा-जमुनी तहजीब की खूशबू देश के कई हिस्सों में फैली हुई है, लेकिन आज हम यूपी के उस जिले की बात करेंगे. जिसे कभी यवनपुर के नाम से जाना जाता था. यहां आप देश की विविध संस्कृति और इसकी रंग-बिरंगी विरासत का शानदार नमूना देख सकते हैं. यहां पढ़िए

Jaunpur Ka Itihaas

Jaunpur Ka Itihaas: अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए गोमती नदी के तट पर बसा उत्तर प्रदेश का जौनपुर शहर रंग-बिरंगी विरासत का शानदार नमूना है. यहां स्थापत्य कला की एक से बढ़कर एक बानगी का दीदार हो सकता है. अगर आप इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं  और देश की गंगा-जमुनी तहजीब के कायल हैं तो यहां की आबोहवा आपको खूब लुभाएगी. इस शहर का इतिहास बहुत रोचक है.

जौनपुर की स्थापना 11वीं शताब्दी में हुई थी, लेकिन गोमती की बाढ़ में यह बह गया था. 1359 में फिरोज़ शाह तुगलक ने इसे फिर से बनवाया था. जौनपुर को मध्यकालीन भारत में शर्की शासकों की राजधानी माना जाता है. शर्की शासकों ने कई ऐसी इमारतें बनवाईं, जिनमें हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य कला का सुंदर मिश्रण दिखाई पड़ता है. 

जौनपुर शहर का इतिहास
जौनपुर को शिक्षा की नगरी भी कहा जाता है, यहां पहले ऋषि, मुनि भी निवास करते थे. महर्षि दधिची भी जौनपुर में ही रहते थे, हिन्दू ग्रंथों के मुताबिक, जब देवराज इंद्र वृतासुर नाम के राक्षस को पराजित नहीं कर पाए थे, तब यहीं महर्षि दधिची नें अपनी अस्थियां इंद्र को दी. जिससे विश्वकर्मा नें वज्र का निर्माण किया और वृतासुर का अंत हुआ. महर्षि जमदग्नि के कारण यहां का नाम जमदग्निपुरी हुआ. 

कैसे पड़ा शहर का नाम?
जौनपुर को 'पूर्व का शिराज' भी कहा जाता था. सबसे पहले, कन्नौज के शासक यशोवर्मन ने इस शहर का नाम यवनपुर रखा. इसके बाद 13वीं सदी में यवनपुर पर फिरोज शाह तुगलक का शासन हो गया. फिरोज शाह तुगलक ने 1359 ई. में यवनपुर का नाम बदलकर जौनपुर रख दिया. उन्होंने इसे अपने चचेरे भाई मुहम्मद बिन तुगलक की याद में बनवाया था. मुहम्मद बिन तुगलक का असली नाम जौना खां था, इसलिए इस शहर का नाम जौनपुर रखा गया.

जौनपुर शहर सल्तनत का स्वर्णकाल
चौदहवीं सदी के दौरान शर्की शासनकाल में तो जौनपुर शहर सल्तनत का स्वर्णकाल रहा. इस दौरान यहां शानदार निर्माण कार्य हुए. कई प्रमुख शासकों का ताल्लुक इस शहर से रहा है. शेरशाह सूरी की शिक्षा-दीक्षा तो यहीं के तालीमी इदारे में हुई थी. मुगल बादशाह अकबर ने खुद यहां आकर शाही पुल के निर्माण का आदेश दिया तो सिखों के नौवें धर्मगुरु गुरु तेग बहादुर सिंह की यह तपोस्थली भी रहा है. इसके साथ ही जौनपुर को भगवान परशुराम की जन्मस्थली के तौर पर भी जाना जाता है.

शहर में घूमने की जगह
जौनपुर शहर में घूमने की कई जगहें हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं शाही पुल, जौनपुर किला, लाल दरवाज़ा मस्जिद, त्रिलोचन महादेव मंदिर, शीतला चौकिया, जामा मस्जिद, अटाला मस्जिद, चतुर्मुखी अर्धनारीश्वर प्रतिमा, सोमेश्वर महादेव बीबीपुर, ख्वाब गाह. ये सभी जगहें देखने लायक हैं. यहां की खूबसूरत इमारतें अपने अतीत की कहानियां कहती प्रतीत होती हैं. जौनपुर की इमरती भी देश-विदेश में काफी मशहूर है.

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