मीना बाजार में मोहब्बत, पर पांच साल मुमताज से निकाह न कर सका शाहजहां, नौ साल में 14 बच्चे कर चल बसी
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मीना बाजार में मोहब्बत, पर पांच साल मुमताज से निकाह न कर सका शाहजहां, नौ साल में 14 बच्चे कर चल बसी

Shah Jahan Birthday Special: ताजमहल के रूप में मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज महल की मोहब्बत की निशानी दुनिया भर में मशहूर हैं. सभी जानते हैं कि शाहजहां ने मुमताज महल की याद में ताजमहल का निर्माण कराया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शाहजहां की मुमताज से पहली मुलाकात कहां हुई थी और उनकी मोहब्बत कैसे परवान चढ़ी. 

मीना बाजार में मोहब्बत, पर पांच साल मुमताज से निकाह न कर सका शाहजहां, नौ साल में 14 बच्चे कर चल बसी

Shah Jahan Birthday: 5 जनवरी 1592 को लाहौर में जन्मे मुगल बादशाह शाहजहां का नाम इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. उनके माता-पिता का नाम बादशाह जहांगीर और जगत गोसाई (जोधाबाई) था. शाहजहां ने 1628 से 1658 तक लगभग 30 वर्षों तक मुगल साम्राज्य पर शासन किया और इस दौरान कई ऐतिहासिक स्मारकों का निर्माण करवाया. इनमें से सबसे खास और दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल उनकी अमर प्रेम कहानी का प्रतीक है. ताजमहल के रूप में शाहजहां और मुमताज की मोहब्बत दुनियाभर में मशहूर है. उनकी मोहब्बत की मिसाल दी जाती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि शाहजहां की पहली मुलाकात मुमताज से कहां और कैसे हुई थी.   

मीना बाजार में शुरू हुई मोहब्बत की कहानी
मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज महल की पहली मुलाकात मीना बाजार में हुई थी. जानकारी के मुताबिक शाहजहां ने मुमताज को उस वक्त पहली बार देखा था जब वो मीना बाजार में साड़ी बेच रही थीं. मुमताज को देखते ही शाहजहां को उनसे प्यार हो गया था. मुमताज की खूबसूरती और नजाकत ने शाहजहां का दिल जीत लिया. इसके बाद तो शाहजहां मुमताज का दीदार करने के लिए किसी ना किसी बहाने रोज मीना बाजार जाने लगे थे. 

जल्द ही शाहजहां को पता चला कि मुमताज महल उनकी मां और रानी नूरजहां की रिश्तेदार हैं. यह जानने के बाद शाहजहां ने मुमताज के परिवार को शादी का प्रस्ताव भेजा. दोनों की सगाई जल्दी ही हो गई, लेकिन शादी होने में 5 साल का वक्त लगा. आखिरकार, 10 मई 1612 को शाहजहां और मुमताज महल का निकाह हुआ. 

मुमताज महल का असली नाम 
शादी के बाद मुमताज महल का नाम बदलकर अर्जुमंद बानो बेगम रखा गया. वह 1628 से 1631 तक मुगल साम्राज्य की मुख्य महारानी रहीं. मुमताज ने शाहजहां के साथ 14 बच्चों को जन्म दिया. 17 जून 1631 को अपनी बेटी गौहर बानो बेगम को जन्म देते वक्त उनकी मृत्यु हो गई.  

ताजमहल: मोहब्बत की अमर मिसालमुमताज की मौत ने शाहजहां को भीतर तक तोड़ दिया. अपनी पत्नी की याद में उन्होंने एक भव्य मकबरे के निर्माण का फैसला किया. यही मकबरा आज दुनिया में ताजमहल के नाम से जाना जाता है. ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1643 में यह बनकर तैयार हुआ.  संगमरमर से बना ये मकबरा  17-हेक्टेयर (42 एकड़) क्षेत्र में फैला है, जिसमें एक मस्जिद और गेस्ट हाउस भी शामिल हैं.  1652 में ताजमहल को बनवाने में 3.2 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. एक अनुमान के मुताबिक अगर इसी ताजमहल को आज के दौर में बनवया जाता तो इस पर करीब 7500 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा.

ताजमहल की खासियत 
ताजमहल का हर कोना शाहजहां और मुमताज की मोहब्बत की कहानी बयां करता है. सफेद संगमरमर से बनी यह इमारत अपने आप में कला और वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है. ताजमहल न केवल शाहजहां की प्रेम कहानी का प्रतीक है, बल्कि यह दुनिया भर में भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व भी करता है.  

आज शाहजहां और मुमताज की मोहब्बत की मिसाल दी जाती है. उनका प्यार ताजमहल के रूप में अमर हो गया, जो हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. शाहजहां के जन्मदिन पर यह कहानी हमें बताती है कि सच्चा प्यार समय की सीमाओं से परे होता है.

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