UP पंचायत चुनाव: सपा सरकार के एक और फैसले को योगी कैबिनेट ने पलटा
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UP पंचायत चुनाव: सपा सरकार के एक और फैसले को योगी कैबिनेट ने पलटा

तत्कालीन सपा सरकार ने 2015 के पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav 2021) में उत्तर प्रदेश पंचायतीराज (स्थानों और पदों का आरक्षण और आवंटन) नियमावली 1994  में संशोधन कर ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के पूर्व में हुए आरक्षण को शून्य कर दिया था. 

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा बदलाव किया है. प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों, नगर पंचायतों और क्षेत्र पंचायतों में आरक्षण का रोटेशन जारी रहेगा. आरक्षण और आवंटन संबंधी 11वां संशोधन लाकर योगी कैबिनेट ने मंगलवार को अखिलेश सरकार द्वारा 2015 में लाया गया 10वां संशोधन समाप्त कर दिया है. 2015 में पंचायत चुनाव के पहले अखिलेश सरकार ने 10वें संशोधन के तहत यह तय किया था जहां पंचायतों का पुनर्गठन किया जाएगा, वहां आरक्षण के रोटेशन को शून्य मानते हुए नए सिरे से आरक्षण प्रक्रिया लागू की जाएगी. 

  1. कैबिनेट बाई सर्कुलेशन ने पंचायतीराज विभाग ने प्रस्ताव को दी मंजूरी
  2. नए सिरे लागू होगी आरक्षण प्रक्रिया, सभी जिलों में एक समान चुनाव
  3. पुराने आरक्षण प्रणाली में गोंडा, संभल, मुरादाबाद और गौतमबुद्धनगर को मिली थी छूट
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पिछले पंचायत चुनाव में प्रदेश के 71 जिलों में ग्राम क्षेत्र और जिला पंचायतों का नए सिरे से पुनर्गठन किया गया था. हालांकि कुछ कानूनी दांवपेंच की वजह से गोंडा, मुरादाबाद, गौतमबुद्ध नगर और संभल में पंचायतों का पुनर्गठन नहीं हो सका था. लेकिन योगी सरकार ने इन चार जिलों में आरक्षण का पुनर्गठन कर दिया है.

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क्या थी अखिलेश सरकार में व्यवस्था
तत्कालीन अखिलेश सरकार ने साल 2015 के पंचायत चुनाव के पहले यहां चल रही आरक्षण व्यवस्था दी थी. तत्कालीन सपा सरकार ने 2015 के पंचायत चुनाव में उत्तर प्रदेश पंचायतीराज (स्थानों और पदों का आरक्षण और आवंटन) नियमावली 1994  में संशोधन कर ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के पूर्व में हुए आरक्षण को शून्य कर दिया था. अगर यही प्रक्रिया लागू रहती तो पहले से चल रही आरक्षण व्यवस्था को शून्य घोषित करके नए सिरे से आरक्षण तय किया जाता था. लेकिन सरकार ने फैसला लिया है कि पिछली बार इन जिलों में भी जो ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों का आरक्षण था, वह अपने तयशुदा रोटेशन के मुताबिक ही बदलेगा. रोटेशन की प्रक्रिया को बाधित नहीं किया जाएगा.

अगर नहीं होता बदलाव तो यह होता
अगर यह बदलाव नहीं होते तो इन चार जिलों में फिर से आरक्षण शून्य कर नया आरक्षण करना पड़ता और बाकी के 71 जिलों में 2015 के चुनाव में हुए आरक्षण का रोटेशन लागू होता. अगर यही प्रावधान लागू रहते तो आगामी पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav 2021) में दो तरह के आरक्षण लागू होते.

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यह फॉर्मूला होगा पंचायत चुनाव
प्रत्येक ब्लॉक में एससी-एसटी पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों (UP Panchayat Chunav 2021) की सूची वर्णमाला के क्रम में बनाई जाएगी. फॉर्मूले के अनुसार एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या उस ब्लॉक पर अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में घटते क्रम में होगी. जो पंचायतें अनुसूचित जाति (एससी) व अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित नहीं हो पाई हैं, उन पर इस बार प्राथमिकता के आधार पर आरक्षण लागू होगा. जिन पंचायतों में पहले एससी के लिए आरक्षण था, वहां अब ओबीसी का आरक्षण होगा. ऐसे जिन पंचायतें अब तक ओबीसी के लिए आरक्षित होती रही हैं वह अब एससी के लिए आरक्षित की जाएंगी. 

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जनरल कैटेरी के लिए आरक्षण
नई नियमावली के अनुसार जो पंचायतें बचेंगी, वह आबादी के घटते अनुपात में चक्रानुक्रम के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित की जाएंगी. पिछले 5 पंचायत चुनावों में महिलाओं के लिए तय 33 प्रतिशत आरक्षण का कोटा तो पूरा होता रहा, मगर एससी के लिए 21 प्रतिशत और ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण कोटे के हिसाब से कई ग्राम, क्षेत्र व जिला पंचायतें आरक्षित नहीं हो पाईं. शायद पर भी योगी सरकार ध्यान दे सकती है. 

जल्द आएगी आरक्षण सूची
आरक्षण नीति इस सप्ताह जारी होने के बाद आरक्षित पंचायतों की सूची तैयार हो जाएगी. उन्होंने बताया कि परिसीमन के बाद ग्राम पंचायतों की संख्या 59074 से घटकर 58194 रह गई हैं. इसके अलावा 75 जिला पंचायतों में 3051 वॉर्ड सदस्य चुने जाएंगे.  

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