मायावती क्या 24 साल बाद छोड़ेंगी बसपा की कमान, इसी हफ्ते होगा बड़ा फैसला
BSP National Executive Meeting: बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पार्टी अपना राष्ट्रीय एजेंडा भी पेश कर सकती है. साथ ही उपचुनाव को लेकर भी चर्चा की जा सकती है.
BSP National Executive Meeting: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 27 अगस्त को बुलाई गई है. बैठक में बसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा. माना जा रहा है कि मायावती एक बार फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकती हैं. अटकलें ये भी लगाई जा रही हैं कि बसपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नया चेहरा भी मिल सकता है.
मायावती 2003 से चुनी जा रहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष
बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पार्टी अपना राष्ट्रीय एजेंडा भी पेश कर सकती है. साथ ही उपचुनाव को लेकर भी चर्चा की जा सकती है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी होना है. मायावती के नाम की चर्चा तेज है. इससे पहले मायावती को अगस्त 2019 में राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. बता दें कि मायावती ने 18 सितंबर 2003 को बसपा संस्थापक कांशीराम की तबीयत खराब होने के बाद पहली बार पार्टी अध्यक्ष पद की कमान संभाली थी, तब से अब तक वह पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही हैं.
आकाश आनंद के नाम की चर्चा तेज
बता दें कि मायावती, भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर चुकी हैं. लोकसभा चुनाव में आकाश आनंद को चुनाव प्रचार की भी जिम्मेदारी सौंपी गई. बसपा में आकाश आनंद का कद बड़ा. अब यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि मायावती आकाश आनंद को राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना सकती हैं. हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
बसपा का चुनावी मैदान में प्रदर्शन
बता दें कि बसपा को 2022 के विधानसभा चुनाव में मात्र एक सीट पर जीत मिली थी. बलिया की रसड़ा विधानसभा से बसपा प्रत्याशी उमाशंकर सिंह ने जीत दर्ज की थी. वहीं, इससे पहले 2017 के चुनाव में बसपा को 19 सीटें मिली थीं. उससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा को 80 सीटें मिली थीं. कुल मिलाकर 2012 के बाद से पार्टी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई है. सीटों की संख्या में गिरावट दर्ज हुई. वहीं, लोकसभा चुनाव में भी बसपा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा को शून्य पर संतोष करना पड़ा था.
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