महिला आरक्षण बिल का पूरा डिटेल, कैसे और कब मिलेगा महिलाओं को कोटा
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महिला आरक्षण बिल का पूरा डिटेल, कैसे और कब मिलेगा महिलाओं को कोटा

Nari Shakti Vandan Adhiniyam 2023 : कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल लोकसभा में मंगलवार को पेश किया गया. नारी शक्ति वंदन अधिनियम में क्या खास है, आइए जानते हैं...

women reservation bill in Lok sabha

Women reservation Bill Highlights: कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल लोकसभा में मंगलवार को पेश कर दिया. इस विधेयक के तहत 33 फीसदी आरक्षण महिलाओं को संसद और विधायिका में दिया जाएगा, यानी 33 फीसदी सांसद और 33 विधायक किसी विधानसभा में महिलाएं होंग.इस विधेयक का नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम रखा गया है. 

ये 10 बड़े बदलाव

1.लोकसभा में सांसदों की संख्या महिला आरक्षण बिल पारित होने 181 हो जाएगी. इन सीटों में ही एससी एसटी के लिए आरक्षण होगा. हालांकि ओबीसी के लिए अलग से आरक्षण नहीं होग.

2. संसद और विधायिका में महिला आरक्षण चक्रानुक्रम आधार पर होगा. हर 15 साल में सीटों में बदलाव होता रहेगा. ऐसे में कोई लंबे समय तक पुरुष सांसद नहीं रह पाएगा.

3. संसद के उच्च सदन राज्यसभा और राज्यों के विधानमंडल के उच्च सदन विधान परिषद में ये महिला आरक्षण लागू नहीं होगा. यानी स्थायी सदन में ऐसा रिजर्वेशन नहीं होगा.

4. लोकसभा में एससी-एसटी के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित होने के साथ 181 में से 43 सीटें उनके लिए रिजर्व होंगी. 28 अनुसूचित जाति और 15 अनुसूचित जनजाति के लिए. बाकी 138 सीटें सामान्य और ओबीसी वर्ग के लिए होंगी.

5. यह कानून 128वें संविधान संशोधन कानून के तौर पेश किया गया है. राज्यसभा में 2010 में पारित बिल निष्क्रिय हो गया नए नारी शक्ति वंदन अधिनियम के उच्च सदन में आने के बाद.

6. बिल के तहत सबसे ज्यादा आरक्षण उत्तर प्रदेश की विधानसभा में मिलेगा, जहां 403 सदस्य हैं और इसमें 133 महिला विधायक होंगी. यूपी की 26 लोकसभा सीटें भी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.अभी केवल 48 महिलाएं यानी करीब 12 फीसदी उत्तर प्रदेश विधानसभा में हैं.

7. इससे पहले 81वें संविधान संशोधन के तौर पर 1996 में ये बिल पेस किया था. तब 11वीं लोकसभा के कार्यकाल में 12 सितंबर 1996 को ये बिल पेश किया गया. लेकिन लोकसभा से पारित न होने के कारण 9 दिसंबर 1996 को यह बिल लैप्स होगा.  

8. 84वें संविधान संशोधन के तौर पर 1998 और फिर 1999 में यह बिल फिर लाया गया, लेकिन गठबंधन सरकारों में यह बिल पारित नहीं हो सका.

9. यूपीए सरकार के दौरान 108वें संविधान संशोधन कानून के तहत 2008 में यह बिल लाया गया और 9 मार्च 2010 को पारित हुआ, लेकिन कांग्रेस राजद और सपा जैसे गठबंधन के सहयोगियों के मुखर विरोध के कारण इसे लोकसभा में पारित कराने की हिम्मत नहीं दिखा सकी.

10. भारत की संसद में अब तक करीब 7500 सांसद हुए हैं, लेकिन इनमें महज 600 ही महिलाएं रही हैं. पहली लोकसभा में यह संख्या 24 थी, जो अब 82 तक पहुंची है. आरक्षण लागू होने के बाद यह संख्या 181 होगी.

 

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