UP By Polls 2024: यूपी में भले ही अभी तक उपचुनाव की तारीखों का एलान नहीं हुआ है लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियां ने सभी 10 सीटों पर अपनी नजर गढ़ा दी है. इसी के तहत बसपा चीफ मायावती ने फूलपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए नई घोषणा की है. मायावती ने फूलपुर विधानसभा उपचुनाव में दलित कार्ड खेला है.
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Phulpur Byelection: उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (UP Bypoll News) को लेकर हलचल तेज हो गई है. बहुजन समाज पार्टी ने शिवबरन पासी को फूलपुर विधानसभा का प्रभारी बनाया है. बसपा में विधानसभा प्रभारी को ही प्रत्याशी माना जाता है. शिवबरन पासी के जरिए बीएसपी ने फूलपुर विधानसभा उपचुनाव में खेला दलित कार्ड खेला है.
फूलपुर विधानसभा में दलित मतदाता
ऐसा माना जा रहा है कि दलित वोटों के बिखराव को रोकने के लिए बीएसपी ने शिवबरन पासी को फूलपुर में प्रभारी बनाया है. फूलपुर विधानसभा में दलित मतदाता की संख्या 75 हजार से अधिक है. बीएसपी से दलित प्रत्याशी होने पर सपा और बीजेपी का गणित खराब हो सकता है.
फूलपुर विधानसभा सीट
एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी और कांग्रेस हालिया लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से जोश से लबरेज हैं तो वही सत्तारूढ़ भाजपा लोकसभा के खराब परिणाम से उबर कर दमदार वापसी की तैयारी में है. जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें फूलपुर (Phulpur Seat) विधानसभा सीट भी शामिल है. फूलपुर बीजेपी और सपा के बीच तगड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है.
इन 10 सीटों पर उपचुनाव
यूपी की दस सीटों करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, खैर और मीरापुर में उपचुनाव होना है. इनमें से 9 सीटें विधायकों के सांसद बन जाने के बाद खाली हुई हैं जबकि एक सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी को सजा मिलने के बाद खाली हुई है. इन 10 सीटों में से SP के पास पांच, तीन सीटों पर BJP और एक-एक सीट पर RLD और निषाद पार्टी का कब्जा था.
बहुजन समाज पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी. 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी सईद अहमद ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रवीण पटेल को हराया था. अब तक हुए विधानसभा चुनाव में इन 10 सीटों में से दो से तीन सीटों पर ही बीएसपी जीती थी. 2012 के बाद से पार्टी की स्थिति खराब हो रही है और जो सीटें पार्टी जीतती रही है, उन पर भी अब हार ही नसीब हो रही है. जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उन सीटों पर पिछले दो चुनाव बदतर स्थिति है. केवल एक सीट 2017 में बसपा के खाते में गई थी. ऐसे में उपचुनाव बहुजन समाज पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है.