बढ़ी हुई बिजली दर ज्यादा बिजली उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को फायदा देने वाली है लेकिन मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए मुश्किल ही पेश आने वाली है. प्रस्तावित दरों में निम्न वर्गीय उपभोक्ताओं के दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. मध्यम श्रेणी के उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार डाला गया है.
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लखनऊ: कोरोना काल में ऐसे ही लोगों की इनकम प्रभावित हो रही है, इसी बीच उत्तर प्रदेश में मध्यम वर्ग को बिजली का भी झटका लगने वाला है. पहले कहा जा रहा था कि बिजली की दरें इस समय नहीं बढ़ाई जाएंगी, लेकिन अब UPPCL ने घाटा होता देख उपभोक्ताओं पर भार बढ़ा दिया है. बिजली कंपनियों ने जो नए स्लैब की जो दरें तय की हैं, उससे कम खपत वाले 80 फीसदी घरेलू उपभोक्ताओं का बिजली खर्च बढ़ने वाला है.
बड़े उपभोक्ताओं को फायदा, मध्यम वर्ग पर मार
बढ़ी हुई बिजली दर ज्यादा बिजली उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को फायदा देने वाली है लेकिन मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए मुश्किल ही पेश आने वाली है. प्रस्तावित दरों में निम्न वर्गीय उपभोक्ताओं के दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. मध्यम श्रेणी के उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार डाला गया है. प्रदेश में इन्हीं बिजली उपभोक्ताओं की संख्या अधिक है. किसानों और उद्योगों को बिजली की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. नए स्लैब और दर से घरेलू शहरी और वे ग्रामीण उपभोक्ता प्रभावित होंगे, जो 101 से 150 यूनिट तक खर्च करते हैं.
15 दिनों में मांगे सुझाव
बिजली कंपनियों की ओर से UPPCL के प्रबंध निदेशक ने बिजली दरों संबंधी प्रस्ताव को विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है. आयोग ने प्रस्तावित दरों का 3 दिन में विज्ञापन प्रकाशित कर 15 दिन में उपभोक्ताओं से सुझाव और आपत्तियां मांगने के आदेश कारपोरेशन को दिए हैं. इसके साथ ही आयोग ने अब 8-10 सितंबर के बजाए 24-28 सितंबर को सुनवाई करने का निर्णय किया है.
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