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Hindu New Year 2023: विश्व के अलग-अगल स्थानों पर या देशों में नव वर्ष का दिन अलग-अगल होता है. नए साल को उत्सव के रूप में मनाया जाता है. विभिन्न सम्प्रदायों के भी नए साल का समारोह, महत्त्व और संस्कृतियां भी भिन्न होती हैं. वहीं, भारत में भी नव वर्ष के तिथियों में भिन्नता है. देश के राज्यों और समुदायों में भी नव वर्ष के डेट अलग-अलग है. आपको बता दें कि भारत का हिन्दू समुदाय चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को नव वर्ष मनाता है. इस बार ये तिथि 22 मार्च 2023 के दिन पड़ रही है.
आपको बता दें कि हिन्दू धर्म में इस दिन को शुभ दिन माना जाता है. इतना ही नहीं हिन्दू नव वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को दिन मनाने के पिछे ऐतिहासिक महत्व भी है. खास बाद है कि ये त्योहार पौराणिक दिन से जुड़ा है. माना जाता है कि इस दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना किया था. इस दिन ब्रह्मा और प्रमुख देवी-देवताओं, यक्ष-राक्षस, गंधर्व, ऋषि-मुनियों, पशु-पक्षियों, कीट-पतंगों, नदियों, पर्वतों का पूजन किया जाता है. इसी दिन नया संवत्सर शुरू होता है, उस तिथि को 'नवसंवत्सर' कहते हैं.
आइए आपको बताते हैं हिन्दू नव वर्ष मनाने के पीछे का ऐतिहासिक महत्व-
1. सृष्टि के रचयिता परम पिता ब्रह्माजी ने इसी दिन के सूर्योदय के साथ सृष्टि की रचना शुरू की थी.
2. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर सम्राट विक्रमादित्य ने राज्य स्थापित किया था. उन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है.
3. प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है.
4. आपको बता दें कि नवरात्र का पहला दिन भी यही है.
5. सम्राट विक्रमादित्य की तरह शालिवाहन ने हूणों को हराकर दक्षिण में श्रेष्ठतम राज्य की स्थापित के लिए इसी दिन को चुना था. इसके बाद विक्रम संवत की स्थापना की.
6. हमेशा सच बोलने वाले युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ था.
जानिए भारत में किस-किस नाम से मनाया जाता है भारतीय नव वर्ष
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में भारतीय नव वर्ष को गुड़ी पांडव के रूप में जाना जाता है. ये खास दिन मार्च या अप्रैल में आता है. वहीं, अगर पंजाब की बात करें तो पंजाब में नया साल बैशाखी नाम से 13 अप्रैल को मनाया जाता है. अगर सिखों के नानकशाही कैलंडर की मानें तो 14 मार्च होला मोहल्ला नया साल होता है. खास बात ये है कि गोवा में हिंदू समुदाय के लोग इस दिन को कोंकणी के नाम से मनाते है.
अगर भारत के दक्षिण की बात करें तो आंध्रा और तेलंगाना में इसे उगादी के रूप में मनाया जाता है. वहीं, भारत का मुकुट और जन्नत कश्मीर में कश्मीरी पंडितों इस खास दिन को नवरेह के नाम से मनाते हैं. इस बार से 19 मार्च को पड़ रहा है. बंगाल में इसे नबा बरसा, असम में बिहू, केरल में विशु, तमिलनाडु में पुतुहांडु के रूप में मनाया जाता है.
दिवाली के दिन भी मनाया जा रहा नया साल
खास बात ये है कि मारवाड़ी समुदाय के लोग अपना नव वर्ष दिवाली के दिन मनाते है. गुजरात में दिवाली के दूसरे दिन नव वर्ष होता है. वहीं, बंगाली नया साल पोहेला बैसाखी 14 या 15 अप्रैल ले आस पास मनाया जाता है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसी दिन नव वर्ष मनाया जाता है.