ओपिनियन: योगी की कैरेट और इस्टिक पॉलिसी, दंगाईयों की खैर नहीं, पीड़ितों से बैर नहीं
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ओपिनियन: योगी की कैरेट और इस्टिक पॉलिसी, दंगाईयों की खैर नहीं, पीड़ितों से बैर नहीं

कैरेट और इस्टिक पॉलिसी के चलते एक बार फिर चर्चा में हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 

कैरेट और इस्टिक पॉलिसी के चलते योगी सबकी नजर में

राजीव श्रीवास्तव/लखनऊ: उत्तर प्रदेश अकेला ऐसा प्रदेश है, जिसके मुख्यमंत्री योगी अदतियानाथ शायद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे अधिक चर्चा में रहते हैं. कभी वो स्टार प्रचारक होने के नाते तो कभी विपक्षियों को करारा जवाब देने के कारण चर्चा का विषय बने रहते हैं. पिछले एक हफ्ते से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर चर्चा में हैं पर इस बार अपनी कैरेट और इस्टिक पॉलिसी के चलते योगी सबकी नजर में हैं.

जब दिसम्बर 19, 2019 को लखनऊ में सीएए के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के दौरान उपद्रवियों ने जगह-जगह पब्लिक प्रॉपर्टी, कई टीवी चेनेल की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया, उस वक्त लगा की उत्तर प्रदेश पुलिस कानून और व्यवस्था के फ्रंट पर बुरी तरह फेल हो गयी है, और वो काफी हद तक सही भी था. उसी दिन रात में हिंसा से नाराज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अपने नाराजगी व्यक्त की.

उसके बाद से हरकत में आई पुलिस ने सभी उपद्रवियों की पहचान शुरू कर इनके नेताओं की धरपकड़ भी तेजी से शुरु की. नतीजा यह हुआ की अब तक अलग-अलग जिलों से कुल 498 लोगों को चिन्हित किया गया है. जिसमें लखनऊ में 82 लोगों को चिन्हित किया गया, मेरठ में 148, संभल में 26, रामपुर में 79, फ़िरोज़ाबाद में 13, कानपुर नगर में 50, मुजफ्फरनगर में 73, मऊ में 8 और बुलंदशहर में 19 लोगों को चिन्हित किया गया.

इसी प्रकार वर्षों से मौजूद कानून जिसमें दंगाईयों से ही छतिपूर्ति लेने का प्रावधान है को पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्ती से लागू करते हुए जुर्माना वसूली की भी कार्यवाही शुरू की, जिसके तहत पूरे प्रदेश में सैकड़ों उपद्रवियों के यहाँ वसूली की नोटिस तामील करने की भी कार्यवाही शुरू की गयी है. यह पहला मौका है, जब किसी सरकार ने इस तरह की कार्यवाही शुरू की है. शायद इसी कार्यवाही का नतीजा है की 19 दिसम्बर को लखनऊ और आसपास के अन्य जिलों में शांति बनी रही.

बीजेपी के प्रवक्ता डॉ चंद्रमोहन की माने तो, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस्टिक पॉलिसी का ही नतीजा है कि लोगों ने उसके बाद से प्रदर्शन का तरीका शांति पूर्वक रखा है.

लेकिन जब इस्टिक पॉलिसी की बात होती है,तो कैरेट पॉलिसी का भी चर्चा में आना आवयशक हो जाता है. जहां इस्टिक पॉलिसी को अपनाते हुए उपद्रवियों से सख्ती से निपटने की कार्यवाही शुरू की गयी है. वहीं दूसरी ओर तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को ध्यान में रख कर योगी सरकार ने सालाना 6000 रुपये की आर्थिक मदद नए साल से ही देने का फैसला किया है.

इसके तहत तीन तलाक पीड़ित 5000 महीलाओं को चिन्हित करने की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गयी है. कागज के नाम पर इन महीलाओं द्वारा थाने में की गयी एफआईआर या भरण पोषण भत्ता के लिए किया गया कोर्ट में मुकदमा ही सरकार की इस योजना का लाभ लेने के लिए पर्याप्त आधार होगा. जानकारों की माने, तो हांलाकि यह मदद कोई बहुत बड़ी रकम तो नहीं है पर यह सरकार की मंशा को जरूर व्यक्त करता है कि वह पीड़ित महिलाओं के साथ खड़ी है. यहां यह भी स्पष्ट करना आवयशक है, कि यह योजना हिन्दू पीड़ित महिलाओं के लिए भी लागू कि गयी है और 5000 महिलाएं इस वर्ग की भी चिन्हित की जाएंगी.

जानकारों कि माने तो पिछले हफ्ते में लिए गए दो निर्णय मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की कैरेट और इस्टिक पॉलिसी को भी स्पष्ट करता है, और प्रदेश के लोगों के लिए भी संदेश है, कि योगी सरकार पीड़ितों के साथ मजबूती से खड़ी है और उपद्रवियों के खिलाफ भी सख्ती के साथ पेश आएगी.

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