लखनऊ: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के नवचयनित 36590 शिक्षकों को आज नियुक्ति पत्र दिए गए. इसके साथ ही, 69000 शिक्षकों की भर्ती पूरी हुई. इस खुशी के मौके पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 36590 हजार नवनियुक्त शिक्षकों को संबोधित किया. सीएम योगी ने उन्हें हृदय से बधाई और शुभकामनाएं देते हुए बेसिक शिक्षा परिषद को भी धन्यवाद दिया. 



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सीएम ने की बेसिक शिक्षा परिषद की तारीफ 
सीएम योगी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद ने बहुत चुनौतियों से लड़ते हुए 69000 शिक्षकों की नियुक्ति को पूरी पारदर्शिता के साथ संपन्न किया है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. उपलब्धि इसलिए है क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ईमानदारी पूर्वक काम करना अपने-आप में एक चुनौती हो जाती है. हर कदम पर बाधाओं का सामना करना पड़ता है. लेकिन इस सबसे ऊपर आ कर बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए जो करना जरूरी था वह सरकार ने किया. 


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जनवरी 2019 में हो चुकी थी प्रक्रिया पूरी 
सीएम ने बताया कि 2019  जनवरी में ही चयन की सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, लेकिन हर बार कोई न कोई व्यक्ति न्यायालय में जाता था और फिर कोर्ट की प्रक्रिया के तहत मामला लटकते-लटकते सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचता था. उसके बाद, सुप्रीम कोर्ट की मुबर लगने के बाद आखिरकार आज हम सबने विजय प्राप्त कर इस प्रक्रिया को संपन्न किया. 


1 लाख 58 हजार स्कूल, टीचर्स की थी भारी कमी 
सीएम योगी ने संबोधन के दौरान कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता से संपन्न करना इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि प्रदेश में 1 लाख 58 हजार से ज्यादा बेसिक शिक्षा के स्कूल हैं. ऐसे में कई स्कूलों में टीचर ही नहीं होते थे, या केवल एक टीचर होता था. अब एक टीचर के ऊपर सारी क्लास का भार डालने का मतलब था कि बच्चों के साथ अन्याय किया जा रहा है. स्कूल की उम्र में हर बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. ऐसे में अगर स्कूल में टीचर न हों, पढ़ाई का माहौल न हो या शासन की तरफ से सुविधाएं उपलब्ध न हों तो उत्तर प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ा पाना मुश्किल था. इसलिए शासन का निर्णय था कि जल्द टीचर्स को ज्वाइनिंग लेटर दिया जाए. 


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50 लाख बच्चों ने लिया स्कूल में एडमिशन 
इस दौरान सीएम योगी ने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार ने विकास के हर क्षेत्र में व्यापक सुधार करने का प्रयास किया है और बेसिक शिक्षा उनमें से ही एक उदाहरण है. कोविड-19 की वजह से राज्य को बहुत कठिनाइयों से गुजरना पड़ा, लेकिन सरकार के साढ़े तीन साल में यह देखा गया कि लगभग 50 लाख बच्चों ने  स्कूलों में एडमिशन लिया है. इतनी बड़ी संख्या में एडमिशन होना गर्व की बात है. पहले ऐसा इसलिए नहीं होता था क्योंकि बच्चों या मां-बाप से कोई बात करने वाला या उन्हें समझाने वाला नहीं था. कोई काउंसिलिंग नहीं करता था. लेकिन अब बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों ने भी यह समझना शुरू किया की शिक्षा कितनी जरूरी है. 


नंगे पैर बच्चे आते थे स्कूल 
सीएम योगी ने बताया कि एक समस्या यह भी थी कि बच्चों के पास कपड़े नहीं होते थे. वे फटे कपड़ों में सड़कों पर घूमते थे और स्कूल नहीं आते थे. ऐसे में सरकार ने निर्णय लिया कि 2 जोड़ी यूनिफॉर्म बच्चों को दी जाएगी. इस दौरान 1.80 करोड़ बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म मिली यह भी देखा गया कि बच्चे नंगे पैर या टूटी चप्पलों में स्कूल आ रहे हैं. सरकार ने उनके लिए तत्काल जूतों की व्यवस्था की है. साथ ही बच्चों में इतनी लगन थी कि सर्दियों की ठंड में वह पढ़ने के लिए स्कूल आते थे. उन्हें शीत लहर से बचाने के लिए स्वेटर भी बांटे गए. 


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मुख्यमंत्री की सलाह- शिक्षा का दायरा बढ़ाया जाए 
सीएम योगी ने नए टीचर्स को यह सलाह दी है कि शिक्षा को एक सीमित दायरे में कैद नहीं किया जा सकता. बच्चों को किताबी ज्ञान मिलने के साथ ही उनका व्यावहारिक विकास भी हो. साथ ही, हर नए शिक्षक के पास नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की एक प्रति होनी चाहिए और उसके नए प्रारूप का अध्ययन जरूर करना चाहिए. 


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