हापुड़ में 40 फीट गहरे बोरवेल में गिरे मासूम ने मौत को दी मात, 5 घंटे बाद NDRF ने सकुशल बाहर निकाला
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हापुड़ में 40 फीट गहरे बोरवेल में गिरे मासूम ने मौत को दी मात, 5 घंटे बाद NDRF ने सकुशल बाहर निकाला

हापुड़ में घर के बाहर खेल रहा 6 साल का मासूम बोरवेल में गिर गया था. NDRF ने कड़ी मशक्‍कत कर सकुशल बाहर निकाल लिया है.  

हापुड़ में 40 फीट गहरे बोरवेल में गिरे मासूम ने मौत को दी मात, 5 घंटे बाद NDRF ने सकुशल बाहर निकाला

हापुड़ : हापुड़ के कोटला सादात मोहल्ले में एक खुले बोरवेल में गिरे 6 साल के मासूम को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है. NDRF की टीम ने घंटों मशक्‍कत करने के बाद शाम करीब साढे पांच बजे उसे बाहर निकाल लिया. मासूम घर के बाहर खेल रहा था, खेलते-खेलते एक खुले बोरवेल में जा गिरा था. बोरवेल में मासूम के गिरने की खबर पर जिलाधिकारी समेत विधायक मौके पर पहुंच गए थे. 

खुला छोड़ दिया था बोरवेल 

दरअसल, थाना देहात क्षेत्र के मोहल्‍ला कोटला सादात के रहने वाले मोहसिन और समरीन का 6 वर्षीय माविया बूक-बधिर है. मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे वह घर के बाहर खेल रहा था. इसी बीच खेलते-खेलते वह नगर पालिका के खुले बोरवेल में जा गिरा. बच्‍चा बोल नहीं पाता ऐसे में बोरवेल से लगातार उसके रोने की आवाज आती रही. बताया गया कि नगर पालिका ने बोरवेल को खुला छोड़ दिया था.  

40 फीट गहरा बताया जा रहा बोरवेल 
जिलाधिकारी मेधा रूपम ने बताया कि बोरवेल 40 फीट गहरा है. घनी आबादी होने के चलते रेस्‍क्‍यू में दिक्‍कत हो रही थी. एनडीआरएफ की टीम ने सफल ऑपरेशन में बच्‍चे को 5 घंटे बाद बाहर निकाल लिया. बच्‍चे को बोरवेल में व्‍यस्‍त रखने के लिए उसे दूध की बोतल आदि अंदर पहुंचाई गई थी. 

नगर पालिका की लापरवाही आ रही सामने 
वहीं, स्‍थानीय लोगों का कहना है कि यह इलाका नगर पालिका के अंदर आता है. बोरवेल भी नगर पालिका की लापरवाही के चलते खुला रह गया. जिलाधिकारी ने बताया कि बच्‍चे को बाहर निकाल कर अस्‍पताल भेजा गया है. साथ ही पूरे मामले की जांच कराई जाएगी, जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी, उसपर कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा जिले में अन्‍य खुले बोरवेल को भी बंद कराया जाएगा.  

हादसे बढ़े, लेकिन सीखने को कोई तैयार नहीं 
बता दें कि खुले बोरवेल में बच्‍चों के गिरने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इनमें से अधिकांश की बोरवेल के भीतर ही दम घुटकर मौत हो जाती है. बोरवेल हादसे पिछले कुछ वर्षों से जागरूकता के प्रयासों के बावजूद निरंतर सामने आ रहे हैं लेकिन इनसे सबक सीखने को कोई तैयार नहीं दिखता. 

 

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