योगी सरकार ने प्रदेश के सभी मदरसों के सर्वे का आदेश दिया था. सर्वे का काम कुछ जिलों में पूरा कर लिया गया है लेकिन कई जनपदों में अब भी सर्वे नहीं हो पाया. ऐसे में 20 अक्टूबर तक मदरसों की जानकारी जुटानी होगी. सर्वे के दौरान कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं.
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लखनऊ: योगी सरकार ने मदरसों के सर्वे का आदेश जारी किया था. मदरसों के सर्वे की अवधि 20 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी गई है. हालांकि कई जनपद में सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है. कई जिलों में अवैध सर्वे के संचालन की बात भी सामने आई है. अब तक हुए सर्वे में 6,436 अवैध मदरसे पाए गए हैं. इन मदरसों की रिपोर्ट जिलों से शासन स्तर को भेज दी गई है. बताया जा रहा है कि कई मदरसे फंडिंग और जरूरी जानकारी नहीं दे पाए.
अवैध मदरसों के खिलाफ होगी कार्रवाई
अब इन मदरसों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. 31 अक्टूबर तक डीएम शासन को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे. 5 हजार 170 मदरसों के सर्वे का काम पूरा हो चुका है. 15 नवंबर 2022 तक का डाटा शासन को भेजा जाएगा. योगी सरकार ने मदरसों के सर्वे का उद्देशय वहां पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना है. सर्वे प्रक्रिया में लगभग 11 सवाल पूछे जा रहे हैं.
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जानें किस जिले में कितने अवैध मदरसे अब तक
अब तक जिन मदरसों में कमी पाई गई है, उनमें ट्रस्ट या पंजीयन की जानकारी न होना भी अहम है. मिली जानकारी के मुताबिक कानपुर में 86, अयोध्या में 55, प्रयागराज में 78, सहारनपुर में 100, आगरा में 10, पीलीभीत में 25, गाजियाबाद में 139, गोरखपुर में 142, अलीगढ़ में 103 अवैध मदरसे पाए गए हैं. सर्वे के दौरान मदरसों से जो सवाल पूछे गए उनमें नाम,निजी संपत्ति पर है या किराये पर, संचालन कौनसी संस्था करती है और फंडिंग कहां से होती है, जैसे कई अहम सवाल पूछे गए थे. हालांकि योगी सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने सवाल भी खड़े किए हैं. विपक्ष ने योगी सरकार के इस कदम को ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने वाला कदम बताया है.
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