डॉक्टरी छोड़ पहनी पुलिस की वर्दी, कानपुर से आगरा तक गुंडे-माफिया थर्राते हैं इस आईपीएस के नाम से
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डॉक्टरी छोड़ पहनी पुलिस की वर्दी, कानपुर से आगरा तक गुंडे-माफिया थर्राते हैं इस आईपीएस के नाम से

Agra News: यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी प्रींतिदर सिंह (IPS Preetinder Singh) जिस जिले में तैनात रहे वहां उन्होंने गुंडे और माफियाओं पर नकेल कस दी. कानपुर जिले में किए गए अच्छे कामों के चलते आईपीएस प्रीतिंदर सिंह को देश के सबसे अच्छे पुलिस कप्तान होने का खिताब मिला है. 

IPS Preetinder Singh (File Photo)

आगरा: पंजाब के जालंधर से ताल्लुक रखने वाले आईपीएस प्रीतिंदर सिंह (IPS Preetinder Singh) ने डॉक्टरी छोड़कर पुलिस की वर्दी पहनी थी. गुंडे बदमाशों से दो-दो हाथ करने का जोश-जज्बा और जुनून की बदौलत वो आज बुलंदियों पर पहुंचे हैं. बिकरू कांड के कुख्यात विकास दुबे के खात्मे के बाद कानपुर में पुलिस का रसूख कायम करने वाले प्रीतिंदर सिंह की काबिलियत को देखते हुए उन्हें आगरा का पहला पुलिस कमिश्नर भी बनाया गया. आज उन्हें एक प्रतिष्ठित मैगजीन की ओर से देश के सबसे बेहतर पुलिस कप्तान का तमगा मिला है.

700 अफसरों में आए प्रथम
जानकारी के मुताबिक फेम इंडिया मैगजीन ने देशभर के 700 पुलिस कप्तानों का सर्वे किया. इनमें से 200 ऐसे कप्तानों का चयन किया गया, जिन्होंने जिले में अच्छा काम किया था. इन अफसरों के काम का बारीकी से आंकलन किया गया. इसके बाद इनमें से 50 आईपीएस अफसरों को चुना गया, जिन्होंने जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उत्कृष्ठ काम किया था. इन 50 अफसरों में आईपीएस प्रीतिंदर सिंह पहले स्थान पर हैं. यह खिताब उन्हें कानपुर जिले में बतौर एसएसपी किए गए कार्यों के कार्यों के लिए दिया गया है. कानपुर में बिकरू कांड के बाद उन्होंने महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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पंजाब के जालंधर में 26 सितंबर 1975 को जन्मे प्रीतिंदर सिंह साल 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने पटियाला के सरकारी कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. इसके बाद साल 2004 में पुलिस सेवा में उनका चयन हुआ और उन्हें यूपी काडर मिला. साल 2006 से उन्होंने पुलिस विभाग में सेवाएं देनी शुरू की. आल्ट न्यूज से सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. आईपीएस प्रीतिंदर सिंह की अध्यक्षता में इसका गठन किया गया था. कानपुर में बिकरू कांड के बाद उन्होंने स्थानीय लोगों में पुलिस के प्रति भरोसा बहाल करने का काम किया था. अलीगढ़ में 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए बवाल में उन्होंने हालात काबू किए, तब वे डीआईजी के पद पर तैनात थे. 

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