मिशन 2024 में अखिलेश और ममता आएंगे साथ, जाति जनगणना के जरिए नया फ्रंट बनाने की कवायद
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मिशन 2024 में अखिलेश और ममता आएंगे साथ, जाति जनगणना के जरिए नया फ्रंट बनाने की कवायद

लोकसभा चुनाव 2024 को भले ही अभी एक साल का समय बचा हो लेकिन गैर कांग्रेसी विपक्षी दलों के बीच एक नया फ्रंट बनाने की कवायद तेज हो गई है. अखिलेश और ममता बनर्जी की मुलाकात में जाति जनगणना के मुद्दे पर अहम चर्चा हुई है. बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी और तृणमुल कांग्रेस के बीच गठबंधन लगभग तय है.

मिशन 2024 में अखिलेश और ममता आएंगे साथ, जाति जनगणना के जरिए नया फ्रंट बनाने की कवायद

लखनऊ : जाति जनगणना के मुद्दे पर एक बार फिर अखिलेश यादव ने आक्रामक सियासी रुख दिखाया है. कोलकाता में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने जातिगत जनगणना को धार देने की बात कही है. लोकसभा चुनाव को लेकर सपा के साथ विपक्षी पार्टियों का भी मुख्य एजेंडा यही माना जा रहा है. बिहार समेत कई राज्यों में जातिगत जनगणना को लेकर बार-बार मांग की जा रही है.

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अखिलेश यादव ने जाति जनगणना का मुद्दा उठाकर टीएमसी समेत अन्य दलों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि इस मुद्दे पर विपक्ष को एकजुटता दिखानी होगी. पार्टी को अब लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए जाति जनगणना को आक्रामक रूप से पिछड़े वर्ग तक ले जाना चाहती है. बताया जा रहा है कि जल्द ही हर लोकसभा क्षेत्र में अखिलेश दौरा करेंगे, जहां इस मुद्दे को जोर शोर से उठाएंगे.  कोलकाता की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा विपक्षी दलों के साथ गठबंधन की चर्चा करेगी. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ मुलाकात को इसी नजरिए से देखा जा रहा है. 23 मार्च को ममता बनर्जी की ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के साथ होने वाली मुलाकात में भी तीसरे मोर्चे की संभावनाओं पर चर्चा होगी.

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चुनावी राज्यों में फोकस
वहीं अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का विस्तार करने पर फैसला लिया है. सपा अब यूपी के बाहर दूसरे राज्यों में भी विस्तार करेगी. सपा मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव लड़ेगी. सपा गुजरात और मध्यप्रदेश में अपना एक-एक विधायक जिताने में कामयाब रही है. सपा की नजर उत्तराखंड पर भी है. 
नेताओं और कार्यकर्ताओं को नसीहत समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी नेताओं को धार्मिक पुस्तकों और धर्म से जुड़े संतो पर टिप्पणी करने से मना किया गया.  बैठक में अति पिछड़ों को साधने पर विशेष तौर पर फोकस किया गया.

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