BJP में जाने वाले AMU के पहले चांसलर होंगे 'तारिक मंसूर', जानिए कौन हैं मंसूर?
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BJP में जाने वाले AMU के पहले चांसलर होंगे 'तारिक मंसूर', जानिए कौन हैं मंसूर?

Aligarh: एएमयू के मौजूदा वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर हैं. जानकारी के मुताबिक वीसी का नाम भाजपा ने एमएलसी के लिए राज्यपाल के पास भेजा है.

BJP में जाने वाले AMU के पहले चांसलर होंगे 'तारिक मंसूर', जानिए कौन हैं मंसूर?

अलीगढ़: अलीगढ़ (Aligarh) में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) किसी न किसी वजह से लगातार चर्चाओं में रहता है. इस समय चर्चा का मुद्दा एएमयू के मौजूदा वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर हैं. जानकारी के मुताबिक वीसी का नाम भाजपा ने एमएलसी के लिए राज्यपाल के पास भेजा है. अगर वह एमएलसी बनते हैं, तो वह भाजपा में जाने वाले एएमयू के पहले कुलपति होंगे.

बताया जा रहा है कि वाइस चांसलर के जरिए भाजपा कई निशाने साधने की तैयारी कर रही है. इन सबके बीच अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में वीसी की कड़ी आलोचना हो रही है. ऐसे में उनका कुलपति की कुर्सी पर बैठना किसी चुनौती से कम नहीं. भरे ताज ही होगा. आए आपको बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मौजूदा वाइस चांसलर के बारे में. दरअसल, प्रोफेसर तारिक मंसूर साल 2017 से एएमयू के वीसी के पद पर आसीन हुए. एएमयू में पिछले साल ही उनके 5 साल पूरे हुए, लेकिन कहा जाता है कि संघ के नजदीकियों के चलते उनके कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया.

आपको बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर का कार्यकाल अब आगामी 17 मई को खत्म हो रहा है. दूसरी तरफ विश्वविद्यालय में नए चांसलर को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. चर्चा ये थी कि प्रोफेसर मंसूर को ही दोबारा वीसी बनाया जा सकता था, लेकिन इस कयास पर शनिवार को ब्रेक लग गया, जब भाजपा ने वीसी के नाम का प्रस्ताव एमएलसी के लिए राज्यपाल को भेजा. फिर क्या था, ये बात देश भर में चर्चा का विषय बन गई. बताया जा रहा है कि अब-तक बीजेपी के पास कोई बडा मुस्लिम चेहरा नहीं था. जिसको शुरूआत में कुर्सी दी गई, लेकिन बाद में साइड कर दिया गया. इसमें मुख्तार अब्बास नकवी समेत कई नाम शामिल हैं. दरअसल, भाजपा प्रो. तारिक मंसूर के जरिए मुसलमानों को साधना चाहती है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो 2024 के चुनाव के पहले उन्हें केंद्र में सरकार में अहम रोल दिया जा सकता है. 

आपको बता दें कि भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ जाकिर हुसैन ने राष्ट्रपति बनने से पहले काफी कठिन सफर तय किया. इस मामले में डॉ अबरार ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि एएमयू के पहले भी कई वीसी कार्यकाल खत्म होने पर देश के बड़े पदों पर पहुचे हैं. इसमें एक बड़ा नाम जाकिर हुसैन हैं. ये वाइस चांसलर बनने के बाद बिहार के राज्यपाल बने. इसके बाद वह देश के राष्ट्रपति भी बने. वहीं, एक नाम और आता है, नुरुल हसन. ये इतिहास के प्रोफेसर थे, इन्हें केंद्र में शिक्षा मंत्री बनाया गया. वहीं, अगर कांग्रेस की बात करें, तो वह हमेशा मुसिलमों के हित में काम किए हैं. शायद यही वजह है कि कांग्रेस ने वीसी रहे हामिद अंसारी को उप राष्ट्रपति पद की कमान सौपी थी. 

एएमयू के मौजूदा वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर  का जन्म 20 सितंबर 1956 में स्व प्रो हफीजुल रहमान के यहां हुआ. इसके बाद उन्होंने 1978 में एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और 1982 में एमएस किया. साल 1980 से 1983 तक जेएन मेडिकल कॉलेज में क्लिनिकल रजिस्ट्रार के रुप में उन्होंने एमबीबीएस के बच्चों को शिक्षा दी. इसके बाद चांसलर मंसूर 1983 से 1985 तक मेडिकल कॉलेज के सीएमओ रहे. साल 1985 से 1986 तक सऊदी अरेबिया में किंग फहर टीचिंग हॉस्पीटल में बतौर सर्जिकल स्पेशलिस्ट काम किया. इसके बाद 1986 से 1993 तक जेएन मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे. साल 1993 से 2001 तक एसोसिएटेड प्रोफेसर रहे. आपको बता दें कि साल 2002 से 2013 तक वह लगातार 11 साल तक प्रोफेसर रहे. बाद में वह साल 2013 से 2017 तक मेडिकल के प्रिंसिपल और सीएमएस रहे. साल 2017 से अब तक वह एएमयू के कुलपति हैं.

पढ़े-लिखे मुस्लिम तबके को जोड़ना फोकस
आपको बता दें कि बीजेपी प्रो. मंसूर को तालीम के इदारे से हटाकर पार्टी से जोडना चाहती है. साथ ही भाजपा देश में मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी भाजपा से जोड़ने की कवायद की जा रही है. माना जाता है कि प्रो तारिक मंसूर की मुस्लिमों में गहरी पैठ है. वहीं, सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि तारिक मंसूर के बाद नए वीसी के पद कौन बनाये जाते है.

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