ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील, मौलाना और इस्लाम के जानकार टीवी डिबेट में ना लें भाग
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील, मौलाना और इस्लाम के जानकार टीवी डिबेट में ना लें भाग

AIMPLB के पत्र में लिखा है कि उलेमा, मौलाना उन टीवी चैनलों की बहस और डिबेट्स में भाग न लें जिनका उद्देश्य केवल इस्लाम और मुसलमानों का उपहास करना और उनका मजाक उड़ाना है. ऐसे कार्यक्रमों मे जाकर वह अपने धर्म का मजाक बनाते हैं. 

फाइल फोटो.

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से बर्खास्त नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर पर टिप्पणी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. देश-विदेश में नूपुर शर्मा के बयान को लेकर नाराजगी जताई जा रही है. शुक्रवार को उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों के कई शहरों में माहौल खराब हो गया. यूपी में मुरादाबाद, सहारनपुर और प्रयागराज में जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया. इसी बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक पत्र जारी किया है. जिसमें उलेमाओं और देश के मुसलमानों से टीवी डिबेट में शामिल ना होने की अपील की है. 

AIMPLB के पत्र में लिखा है कि उलेमा, मौलाना उन टीवी चैनलों की बहस और डिबेट्स में भाग न लें जिनका उद्देश्य केवल इस्लाम और मुसलमानों का उपहास करना और उनका मजाक उड़ाना है. ऐसे कार्यक्रमों मे जाकर वह अपने धर्म का मजाक बनाते हैं. 

क्या लिखा है पत्र में ? 
इस पत्र के जरिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने प्रेस नोट में कहा है कि बोर्ड अध्यक्ष मौलाना सैयद मुहम्मद राबेअ हसनी नदवी, उपाध्यक्ष मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी, मौलाना काका सईद अहमद उमरी, मौलाना सैयद शाह फखरुद्दीन अशरफ, मौलाना सैयद अरशद मदनी, डॉ. सैयद अली मुहम्मद नकवी ने अपने संयुक्त बयान में उलेमा और बुद्धिजीवियों से अपील की है कि वे उन टीवी चैनलों की बहस और डिबेट्स में भाग न लें, जिनका उद्देश्य केवल इस्लाम और मुसलमानों का उपहास करना और उनका मजाक उड़ाना है. 

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कार्यक्रमों और चैनलों का बहिष्कार करने की कही बात 
इस पत्र में आगे कहा गया है कि कार्यक्रमों में भाग लेकर वे इस्लाम और मुसलमानों की कोई सेवा नहीं कर पाते बल्कि परोक्ष रूप से इस्लाम और मुसलमानों का अपमान और उपहास ही करते हैं. इन कार्यक्रमों का उद्देश्य रचनात्मक चर्चा के माध्यम से किसी निष्कर्ष पर पहुंचना नहीं है बल्कि इस्लाम और मुसलमानों का उपहास करना और उन्हें बदनाम करना है. ये चैनल्स अपनी तटस्थता साबित करने के लिए एक मुस्लिम चेहरे को भी बहस में शामिल करना चाहते हैं. हमारे उलेमा और बुद्धिजीवी अज्ञानतावश इस षड्यंत्र के शिकार हो जाते हैं. यदि हम इन कार्यक्रमों और चैनलों का बहिष्कार करते हैं तो इससे न केवल उनकी टीआरपी कम होगी बल्कि वे अपने उद्देश्य में बुरी तरह विफल भी होंगे.

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