समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट का इंकार
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समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट का इंकार

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि भारतीय संस्कृति में समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं है. कहा गया कि किसी भी कानून में समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी गई है.

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट का इंकार

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की दो किशोरियों की मांग अस्वीकार कर दी है. एक मां ने अपनी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराने को लेकर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus plea) दाखिल की थी. जिस पर जस्टिस शेखर कुमार यादव ने दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया.

प्रयागराज के अतरसुइया की रहने वाली अंजू देवी ने अर्जी में कोर्ट से कहा कि उसकी बेटी बालिग है. उसे एक लड़की ने अवैध तरीके से जबरदस्ती अपने साथ रखा है. उसकी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराया जाय. कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण अर्जी पर सुनवाई करते हुए दोनों लड़कियों को कोर्ट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया.

कोर्ट के सामने पेश हुई दोनों लड़कियों ने कहा कि वे बालिग हैं. दोनों ने आपसी सहमति व मर्जी से समलैंगिक विवाह कर लिया है. उनके समलैंगिक विवाह को कोर्ट द्वारा मान्यता प्रदान किया जाए. इसके साथ ही उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने से रोका जाय.

वहीं, सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि भारतीय संस्कृति में समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं है. कहा गया कि किसी भी कानून में समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी गई है. वकील ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान नहीं की जा सकती, क्योंकि इस शादी से संतानोत्पत्ति नहीं की जा सकती. वहीं, कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग खारिज करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित कर दी. 

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