भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई को विष्णु के अलग-अलग अवतारों जैसे वराह और मत्स्य की एक ही पत्थर से बनी मूर्तियां और मथुरा लिखे हुए अभिलेख मिले हैं.
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लखनऊ: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में नवीनतम खोज के दौरान प्राचीन गुफाएं, मंदिर और बौद्ध ढांचों के अवशेष मिले हैं. इन पर प्राचीन लिपियों में मथुरा (Mathura) और कौशांबी (Kaushambi) जैसे शहरों का उल्लेख है. एएसआई के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. एएसआई की टीम द्वारा बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य के 170 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अन्वेषण का कार्य किया गया था. यहां पर करीब एक महीने तक खोज के दौरान लोगों के आने-जाने पर रोक थी. अन्वेषण के दौरान कई प्राचीन मूर्तियों का पता चला है. इनमें भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों जैसे वराह और मत्स्य की एक ही पत्थर से बनी मूर्तियां और प्राकृतिक गुफा में बोर्ड पर खेले जाने वाले खेल की आकृति बनी मिली है.
मंदिर और मठ की जानकारी मिली
पुरातत्व अधीक्षक एस. के. बाजपेयी ने अन्वेषण करने वाली टीम की अध्यक्षता की. बाजपेयी ने बताया कि वर्ष 1938 में पुरातत्ववेत्ता एन पी चक्रवर्ती के बाद पहली बार एएसआई ने बांधवगढ़ में अन्वेषण किया है. कई ढांचों का दस्तावेजीकरण किया गया है. हमें प्राचीन गुफाओं, मंदिरों, बौद्ध अवशेषों, मठ, मूर्तियों, जलाशयों, ब्रह्मी और नागरी जैसी प्राचीन लिपियों में भित्ति अभिलेख जैसे और ढांचों की जानकारी मिली है. उन्होंने बताया कि इस अवधि में कुछ अन्य एजेंसियों ने भी अन्वेषण किया. एएसआई अधिकारी ने कहा कि मेरे लिए सबसे रोमांचक खोज हिंदू राजवंशों द्वारा शासित क्षेत्र में बौद्ध ढांचों की खोज है. यह धार्मिक सौहार्द्र का संकेत देता है, लेकिन इन्हें किसने बनाया, अबतक नहीं पता है.
एएसआई द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक मन्नत के स्तूप और बौद्ध खंभे के टुकड़े मिले हैं. ये दूसरी या तीसरी शताब्दी के हैं. बाजपेयी ने बताया लेकिन सबसे अहम उत्तर प्रदेश स्थित मथुरा और कौशांबी जैसे प्राचीन शहरों के नामों का उल्लेख है. इनका दस्तावेजीकरण किया गया है. एएसआई के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बांधवगढ़ से दूर स्थित इन शहरों के नामों का उल्लेख संकेत करता था कि यहां के लोगों का अन्य शहरों के साथ कारोबारी संबंध था. संभव है कि उन्होंने कुछ दान दिया होगा. उन्होंने बताया कि मुगल कालीन और जौनपुर के शर्की सल्तनत के सिक्के भी बांधवगढ़ से मिले हैं.
दूसरी ईसापूर्व से पांचवीं ईस्वी तक के अभिलेख
एएसआई अधिकारियों ने बताया कि कुल 35 मंदिरों की जानकारी मिली है, जिनमें से नौ की पहले से जानकारी थी और 26 अन्य मंदिरों का पता नवीनतम अन्वेषण में चला है. यह सभी कलचुरी काल के हैं. उन्होंने बताया कि 26 नयी गुफाओं का भी पता चला है जो दूसरी ईसापूर्व से लेकर पांचवीं ईस्वी तक के हैं. इनकी प्रकृति बौद्ध ढांचे की है जबकि 50 गुफाओं का पता पहले लगाया गया था.
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अधिकारियों ने बताया कि कालचुरी काल (नौवीं से 11वीं सदी) के दो नए शैव मठों और दो नए स्तूपों का भी पता चला. उन्होंने बताया कि बौद्धधर्म के महायान संप्रदाय से जुड़े अवशेष भी मिले हैं. इनमें चैत्य आकार के द्वार और पत्थर से बने चबूतरे शामिल हैं. उन्होंने बताया कि 46 नई प्रतिमाओं का भी नवीनतम अन्वेषण में पता चला है और 10 प्रतिमाओं की पहले ही जानकारी थी. एएसआई ने बताया कि मथुरा और कौशांबी के अलावा पावता (प्रवता), विजभद्र और सप्तनारिका का भी उल्लेख अभिलेखों में मिला है. उन्होंने बताया कि अभिलेखों में महाराजा श्री भीमसेन, महाराज पोथसिरी और महाराज भट्टदेव सहित महत्वपूर्ण राजाओं का भी जिक्र है.