Barabanki: यूपी के बाराबंकी में बीते दिनों बाढ़ जैसे हालात बन गए थे. इस दौरान लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. पानी लोगों के घरों में घुस गया था. बताया जा रहा है यह जलभराव नदी-नालों पर घर, गेस्ट हाउस, अस्पताल, मौरिज लॉन आदि बने होने के कारण हुआ.
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नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में बीते दिनों बारिश की वजह से जलभराव की समस्या सामने आई थी. बताया जा रहा है यह समस्या जमुनिया नाले और रेठ नदी की जमीन पर अतिक्रमण की वजह से हुई. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस त्रासदी का संज्ञान लेते हुए जांच कमेटी गठित की थी. इस कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. जांच कमेटी के अफसरों के मुताबिक नगर से गुजरे जमुरिया नाले और रेठ नदी की आधी से ज्यादा जमीन पर लोगों ने अवैध अतिक्रमण कर रखा है. इसी की वजह से जल निकासी प्रभावित हुई और नगर में जल भराव के हालात बन गए. डीएम बाराबंकी को भी हालत से अवगत कराते हुए अवैध कब्जों को हटाने की सिफारिश की गई है.
यह है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक बीते 10 सितंबर को शहर में बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन गए थे. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका संज्ञान लेते हुए प्रमुख सचिव सिंचाई से रिपोर्ट तलब की थी. इसकी जांच के लिए मुख्य अभियंता शारदा नहर अशोक सिंह और अधीक्षण अभियंता संतोष कुमार सिंह समेत कई अधिकारियों की टीम बनाई गई थी. टीम ने अपनी जांच में पाया कि जमुरिया नाले की चौड़ाई लगभग 14 मीटर और रेठ नदी की चौड़ाई लगभग 50 से 56 मीटर के बीच है, जबकि जमुरिया नाला पहले नदी के रूप में चिन्हित था और उसकी लंबाई लगभग 22 किलोमीटर है. वहीं, रेठ नदी का उद्गम सीतापुर जिले से होता है और यह 109 किलोमीटर लंबी है.
नदी की जमीन पर लोगों ने किया निर्माण
बता दें कि बरसात के दौरान जमुरिया नाला और रेठ नदी की तलहटी और आसपास के क्षेत्र में अवैध निर्माण के चलते जल निकासी प्रभावित हुई. साथ ही बारिश के पानी को निकलने में समय लगा, जिसके चलते शहर के तमाम इलाकों तक पानी पहुंच गया. जांच कमेटी के अधिकारियों के मुताबिक नाला और नदी का 50 फीसदी हिस्सा खाली होना चाहिए. साथ ही फ्लड एरिया तय करके उसको भी खाली कराया जाना चाहिए. अधिकारियों के मुताबिक इन पर अवैध रूप से मकान, मैरिज लॉन, गेस्ट हाउस, स्कूल, अस्पताल पुल और पुलिया भी बन गए हैं. यह सभी बाढ़ के हालात के लिए जिम्मेदार हैं. अधिकारियों ने बताया कि डीएम को अवैध कब्जों को हटाने के लिए पत्र लिखा गया है. साथ ही डिटेल रिपोर्ट अगले 15 दिनों में प्रमुख सचिव को सौंप दी जाएगी.
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स्थानीय निवासी दानिश, खालिद अशरफ और सूरज वर्मा के मुताबिक बीते दिनों हुई बारिश से उनका सारा सामान खराब हो गया. पूरी गृहस्थी बर्बाद हो गई है. लोगों का कहना है कि जब नाले और नदी की जमीन पर जब कब्जा किया था तब जिले के अधिकारी क्या कर रहे थे. कैसे नक्शा पास हो गया. कैसे टैक्स लिया जा रहा है. अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा हम लोग भुगत रहे हैं. शहर के सभी इलाकों में बाढ़ आई थी. ऐसी त्रासदी हम लोगों ने अपनी जिंदगी में नहीं देखी. इसका जिम्मेदार जितना आम नागरिक है उतना ही जिले के आलाधिकारी भी हैं.
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