लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) सूबे की 4 बार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां 4र बार मुख्यमंत्री रहना अपने आप में एक बड़ी बात है. वह यूपी की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनीं. आज उनका जन्मदिन है. इस दिन हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातों को बता रहे हैं जो उनके संघर्षों की कहानी का बयां करती है.


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काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा सफर
3 जून 1995 को बहन जी के नाम से मशहूर मायावती ने पहली बार यूपी के सीएम पद की शपथ ली थी. तत्कालीन राज्यपाल मोतिलाल वोहरा ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी. मायावती ने 18 अक्टूबर 1995 तक प्रदेश में शासन किया. इसके बाद उनका दूसरा कार्यकाल 21 मार्च 1997 से 21 सितंबर 1997 तक रहा, तीसरा कार्यकाल 3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक और चौथी बार 13 मई 2007 को मुख्यमंत्री बनी और पूरे 5 साल तक राज किया. साल 2012 में उन्हें समाजवादी पार्टी के सामने हार का सामना करना पड़ा.


मायावती (Mayawati) साल 2012 के बाद अप्रैल 2012 से लेकर जुलाई 2017 तक राज्यसभा की सदस्य रहीं और तब से अब तक बसपा प्रमुख हैं. 2017 में हुए उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी को भारी नुकसान हुआ और पार्टी की विधानसभा उपस्थिति बहुत ही कम हो गई. उनका  राजनीतिक सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. 


दलित परिवार में हुआ था जन्म, करना पड़ा भेदभाव का सामना
मायावती (Mayawati) का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली (Delhi) के एक दलित जाटव परिवार में हुआ था. उनके पिता प्रभु दास बादलपुर गौतम बुद्ध नगर में पोस्टऑफिस कर्मचारी थे. मायावती को बचपन में लड़की होने के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा. उनके भाई प्राइवेट स्कूल में पढ़े, तो उन्हें सरकारी स्कूल में पढ़ाया गया. उनका बचपन का नाम चंद्रावती था. इसी नाम से उनकी पढ़ाई लिखाई हुई.


मायावती काफी शिक्षित
बहुत कम कम लोग जानते हैं कि मायावती काफी शिक्षित (Educated) हैं. 1975 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कालिंदी कॉलेज से BA की पढ़ाई और उसके बाद 1983 में इसी यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ से LLB किया. इससे पहले 1976 में उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी के वीएमएलजी कॉलेज गाजियाबाद से बीएड (B.Ed)भी किया था. सिविल सेवा परीक्षा (Civil Exam) की तैयारी के दौरान उन्होंने दिल्ली के इंद्रपुरी जेजे कॉलोनी में टीचिंग भी की.


कांशीराम के कहने पर छोड़ा था घर
मायावती यूपीएससी की परीक्षा पास कर एक आईएएस अफसर बनना चाहती थीं और उसके लिए तैयारी भी करती थीं, लेकिन 1977 में कांशीराम के कहने पर मायावती ने अपना घर और सपना छोड़ दिया और राजनीति में एंट्री ली. कांशी राम (Kanshi Ram)ने ही चंद्रावती का नाम बदलकर मायावती (Mayawati) कर दिया था और जब 1984 में उन्होंने बहुजनसमाज पार्टी (BSP) बनाई तब उन्होंने अपनी टीम प्रमुख में शामिल कर लिया. पार्टी का मुख्य उद्देश्य दलितों और पिछड़ों का उत्थान करना था. मायावती ने पहला चुनाव उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के कैराना लोकसभा सीट से लड़ा था. जल्दी ही मायावती उत्तर प्रदेश में सत्ता के शिखर पर पहुंचीं.


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