लखनऊ : लखनऊ गोमती रिवर फ्रंट (Gomti Riverfront) घोटाले को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. नगर निकाय से पहले रिवरफ्रंट घोटाले में CBI ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. CBI ने पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और दीपक सिंघल के साथ पूछताछ की कार्रवाई करने की उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी है. आपको बता दें कि सपा सरकार में आलोक रंजन मुख्य सचिव थे. दोनों पूर्व आईएएस अफसरों पर गड़बड़ियों की अनदेखी का आरोप लगाया गया है. रिवर फंड घोटाले में करीब 1438 करोड़ का काम हुआ. 2017 में योगी सरकार के आने पर इसकी जांच शुरू हुई थी.  30 नवंबर 2017 को CBI ने FIR दर्ज किया की थी.

 

गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में को लेकर पिछले साल भी सीबीआई ने कड़ा रुख अपनाते हुए तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव और दो अफसरों की भूमिका को लेकर जांच शुरू की थी. सरकार से आगे की जांच के लिए जांच एजेंसी ने पूछताछ की अनुमति मांगी थी. तब शासन की तरफ से निर्णय लेने के लिए सिंचाई विभाग से जुड़े रिकॉर्ड तलब किया गया था. साल 2017 में सत्ता में आने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच शुरू करवाई थी.

 

सीबीआई जांच की सिफारिश 

यूपी में जब भाजपा की सरकार आई तो सीएम योगी ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा कराने की सिफारिश की थी. प्रदेश सरकार ने रिवर फ्रंट घोटाला मामले में न्यायिक जांच समिति की रिपोर्ट इसके साथ ही गोमतीनगर थाने में दर्ज करवाई गई FIR की कॉपी और अन्य दस्तावेज केंद्र सरकार को भेजे दिए थे. जिसके आधारा पर जांच को केंद्र ने सीबीआई के हवाले कर दिया था.

 


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