MP Politics: मध्य प्रदेश भाजपा में इन दिनों पार्टी के दो दिग्गज विधायक ही आमने-सामने नजर आ रहे हैं. मामला सागर जिले की राजनीति से जुड़ा हुआ है.
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मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों जमकर सियासी हलचल देखी जा रही है. खास तौर पर सागर जिले में भाजपा के ही दो दिग्गजों के बीच शुरू हुआ सियासी शीत युद्ध अब खुलकर सामपूने आ गया है. क्योंकि सागर जिले से आने वाले भाजपा को दो सीनियर विधायक आमने-सामने नजर आ रहे हैं, जिनमें से एक मोहन सरकार में मंत्री हैं तो दूसरे तत्कालीन सरकार में सीनियर मंत्री थे, लेकिन इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. पहले दोनों विधायक एक दूसरे पर इशारों-इशारों में बयानबाजी कर रहे थे. लेकिन अब यह दोनों की खींचतान खुलकर सामने आ गई है.
भूपेंद्र सिंह के बयान पर गोविंद राजपूत का पलटवार
दरअसल, पूरा मामला सागर जिले की खुरई विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक भूपेंद्र सिंह और सुरखी विधानसभा सीट से विधायक गोविंद सिंह राजपूत से जुड़ा है. भूपेंद्र सिंह एक बयान पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने पलटवार किया है. उन्होंने भूपेंद्र सिंह का नाम लिए बिना कहा 'एक व्यक्ति क्या पार्टी से बड़ा हो गया है? पार्टी नेतृत्व इसे देख रहा है, जबकि मैं बीजेपी में आने के बाद पार्टी की तीन कठिन सीमाओं को पार कर चुका हूं.' गोविंद सिंह ने यह बयान पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के उस बयान के जवाब में दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि सागर जिले में एक मंत्री भाजपा को खत्म करने में लगा हुआ है.' इन बयानों के बाद दोनों नेताओं की सियासी अदावत खुलकर सामने आ गई है.
जानिए भूपेंद्र सिंह का बयान
पूर्व मंत्री और खुरई से भाजपा विधायक भूपेंद्र सिंह ने पिछले दिनों एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा 'हम ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं कर सकते, जिन्होंने पहले बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किए थे, अब वही लोग हमारी पार्टी में आकर फिर से हमारे कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रहे हैं, सागर जिले में दो नेता ऐसे हैं जिनको लेकर मेरी आपत्ति पहले भी थी और आज भी है. क्योंकि इन्ही दो नेताओं ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा प्रताणित किया था. ये कौन दो लोग हैं, इसकी जानकारी सभी को है, प्रशासन अब उन्हीं की बात सुन रहा है जो कांग्रेस से भाजपा में आए हैं. ये लोग नहीं चाहते है कि भाजपा के पुराने लोग मजबूत हो, जबकि वे खुद बीजेपी में कब तक रहेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है.'
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भूपेंद्र सिंह यही नहीं रुके उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा पर भी बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा 'वीडी शर्मा को पार्टी में आए हुए पांच से सात साल ही हुए हैं, वे तो पहले एबीवीपी में काम करते थे, लेकिन उनका बयान आपत्तिजनक है. मैंने उनकी अध्यक्षीय गरिमा का ध्यान कोई बात नहीं कही थी, लेकिन उन्हें भी अपनी गरिमा का ध्यान रखना चाहिए, चाहता था तो मैं भी जवाब दे सकता है.' दरअसल, जब वीडी शर्मा से भूपेंद्र सिंह के बयान पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वह उनकी निजी लड़ाई हो सकती है, लेकिन कांग्रेस से बीजेपी में आए हुए लोग अब पार्टी के लोग है.'
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का पलटवार
वहीं भूपेंद्र सिंह के बयान पर जब मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से सवाल किया गया तो उन्होंने बिना नाम लिए कहा 'मैं जब से बीजेपी में आया हूं तीन बड़ी सीमाएं पार कर चुका है. मैंने भाजपा से पहला चुनाव 41000 वोट से जीता था, दूसरा विधानसभा का चुनाव भी जीता, जबकि लोकसभा चुनाव के दौरान सागर लोकसभा सीट की बीजेपी प्रत्याशी मेरी विधानसभा सीट से 86000 वोटों से जीती थी. आज मैं भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता हूं, जब मैं भाजपा में शामिल हुआ था, तब मुझे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ही शामिल कराया था. प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व भी मौजूद था. मैं जब से भाजपा में आया हूं तब से ही पार्टी के लिए मेहनत कर रहा हूं. लेकिन एक विधायक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पर टिप्पणी कर रहे हैं, जबकि भाजपा बेहद अनुशासित पार्टी है, ऐसे में अध्यक्ष पर टिप्पणी करना बड़ी बात है.'
गोविंद सिंह राजपूत ने कहा 'प्रदेश अध्यक्ष विद्यार्थी परिषद से आए हैं, लेकिन उन्हें समझना होगा कि विद्यार्थी परिषद से तो अमित शाह भी आए थे, इसी से जेपी नड्डा भी आए थे. जहां तक मैंने सुना है राजनाथ सिंह भी विद्यार्थी परिषद से आए हैं, लेकिन आप विद्यार्थी परिषद से आए लोगों को कोई महत्व नहीं दे रहे हैं. तो क्या आप पार्टी से ऊपर हो गए हैं, इस सभी मामले को पार्टी का शीर्ष नेतृत्व देख रहा है, मुझे इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं करना है.'
क्यों आमने-सामने हैं पार्टी के दोनों दिग्गज ?
बड़ा सवाल यह है कि एक ही पार्टी में होने के बाद बुंदेलखंड के ये दो सियासी दिग्गज आमने-सामने क्यों हैं. दरअसल, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मामला 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद से शुरू हुआ है. गोविंद सिंह राजपूत सुरखी विधानसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद मोहन सरकार में मंत्री बनाए गए, लेकिन खुरई विधानसभा सीट से चुनाव जीते भूपेंद्र सिंह को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. जबकि वह पिछली सरकार में सीनियर मंत्री की भूमिका में थे. वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान खुरई सीट पर उनके प्रतिद्वंदी रहे कांग्रेस के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे ने भी सीएम मोहन के समक्ष बीजेपी ज्वाइन कर ली. जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा चली कि अरुणोदय चौबे को बीजेपी में लाने की कवायत गोविंद सिंह राजपूत के जरिए ही हुई थी. हालांकि उनका कहना है कि जैने अन्य पूर्व विधायक बीजेपी में शामिल हो रहे थे, उसी तरह से सागर जिले के पूर्व विधायक भी शामिल हुए थे, उन्हें मैंने शामिल नहीं कराया था, ये पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का फैसला था.
सागर की राजनीति
मध्य प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सागर जिला बीजेपी का गढ़ माना जाता है, क्योंकि यहां से पार्टी के कई सीनियर नेता आते हैं जो मध्य प्रदेश की राजनीति में अपना बड़ा कद रखते हैं. फिलहाल मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव सागर जिले की राजनीति के सेंटर में बने हुए हैं. पिछली सरकार में यह तीनों नेता सीनियर मंत्री थे, लेकिन इस बार भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है, जबकि यह सीनियर विधायक हैं. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमें से आने वाले गोविंद सिंह राजपूत सरकार में मंत्री हैं.
एक वक्त सागर जिले की राजनीति में यह भी चर्चा थी कि भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव के बीच सियासी अदावत है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में इन दोनों दिग्गजों की दोस्ती पूरे राज्य में चर्चा का विषय बनी है. दोनों नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र के कार्यक्रमों में एक दूसरे को बुलाया, लेकिन पार्टी के दूसरे सीनियर नेताओं की इससे दूरी चर्चा का विषय रही है. लेकिन धीरे-धीरे शुरू हुआ यह कोल्डवॉर अब खुलकर आरोप प्रत्यारोप में बदलता दिख रहा है. हालांकि दोनों नेताओं में कोई किसी का सीधे नाम लेने से बच रहा है. लेकिन सियासी अदावत दिख रही है.
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