राजेश मिश्र/मीरजापुर: नवरात्रि में आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी के नौ रूपों की आराधना की जाती है. पहले दिन हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के रूप में माँ का पूजन करने का विधान है. वहीं दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन किया जाता है. 22 मार्च से नवरात्रि शुरू हो गए हैं जो कि 30 मार्च 2023 यानी नवमी तक होंगे. इन दिनों मां दुर्गा की घर-घर में पूजा होगी. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि 9 दिन तक मां दुर्गा के भक्त देवी की भक्ति में लीन रहते हैं. नवरात्रि के 9 दिन बहुत शुभ माने जाते हैं. मान्यता है इन दिनों में भक्तों की हर इच्छा पूरी करने मां धरती पर आती हैं और शत्रुओं का नाश करती हैं.


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Chaitra Navratri 2023 2nd Day: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन इस मंत्र से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें कैसा है देवी-दुर्गा का द्वितीय रूप


नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा


अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पवन पावनी मां भागीरथी के संगम तट पर विराजमान मां विंध्यवासिनी का दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है. विन्ध्यक्षेत्र में मां को विन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है. प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली मां ब्रह्मचारिणी सभी के लिए आराध्य हैं. मां ब्रह्मचारिणी को सफेद फूल और सफेद फलाहार अत्यंत प्रिय है. नौ दिन में मां सभी भक्तों के मनोकामना को पूरा करती है. इस गृहस्थ जीवन में जिस - जिस वस्तुओं की जरूरत प्राणी को होता है वह सभी प्रदान करती है. मां की सविधि पूजा-अर्चना कर जप करने वाले भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती है.


मां के दर्शन के लिए भक्तों का तांता
 विद्वान आचार्य अनुपम महाराज का कहना है कि माता के दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. आदि शक्ति मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए भक्त पिछले कई सालों से आते रहे हैं. दूर दराज से आने वाले बहुत से वक्त 9 दिनों तक विंध्याचल क्षेत्र में ही निवास कर मां की आराधना पूरे तन-मन से करते हैं जिससे प्रसन्न होकर मां  उनकी सभी मुरादें पूरी करती है.


श्रद्धालुओं में होता है नई ऊर्जा और नए उत्साह का संचार
नवरात्रि में नौ दिन मां के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं. माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा,नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है. मां के धाम में आने के बाद मनोहारी दर्शन कर भक्तों को परम शांति मिलती है.


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