चंदौली: उत्तर प्रदेश के चंदौली को धान का कटोरा कहा जाता है. हालांकि, यहां बारिश इतनी कम हुई है कि अब किसान परेशान हो गए हैं. खेत में रोपी गई धान की नर्सरी खराब होने की कगार पर पहुंच गई है. ऐसे में किसान लगातार जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग कर रहे हैं. अब इसको लेकर समाजवादी पार्टी भी सरकार को घेरने के लिए मैदान में उतर चुकी है.


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सपा ने किसानों के समर्थन में की पदयात्रा
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक मनोज कुमार सिंह डब्लू की अगुवाई में गुरुवार को असना से कंदवा तक किसान पदयात्रा निकाली गई. पदयात्रा शुरू होते ही क्षेत्रीय किसान जुड़ते गए और काफिला बढ़ता चला गया. जैसे-जैसे पदयात्रा आगे बढ़ी, जगह-जगह खड़े किसानों ने पदयात्रा की अगुवाई कर रहे मनोज सिंह डब्लू और किसानों का माल्यार्पण कर स्वागत सम्मान किया. इसके साथ ही, किसानों के हक में आयोजित इस पदयात्रा में लोग अपना समर्थन देते हुए शामिल होते चले गए. पदयात्रा आधा दर्जन गांवों का भ्रमण करते हुए कंदवा पहुंचकर समाप्त हुई.


लो-वोल्टेज की वजह से बिजली भी किसी काम की नहीं
इस दौरान पूर्व विधायक मनोज कुमार सिंह डब्लू ने कहा कि 'धान का कटोरा' चंदौली सूख रहा है. सिंचाई की समस्या से किसान परेशान हैं. किसानों को जो बिजली मिल रही है, वह लो-वोल्टेज की वजह से नाकाफी साबित हो रही है. क्योंकि लो-वोल्टेज के कारण ट्यूबवेल चल नहीं पा रहे हैं. वहीं, शिकायतों को अफसर संज्ञान में नहीं ले रहे हैं. ऐसे में जिन किसानों ने किसी तरह यतन करके धान की रोपाई की है, उनकी फसलें सूखे और बर्बाद होने की कगार पर हैं.


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किसानों को मुआवजा देने और बिजली बिल माफ करने की मांग
सपा नेता का कहना है कि सूखे की विभीषिका को देखते हुए सरकार को एक महीने पहले ही जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर देना चाहिए था, लेकिन इसमें लापरवाही बरती गई. सपा राष्ट्रीय सचिव ने मांग की है कि जिले को सूखाग्रस्त घोषित करते हुए किसानों को प्रति हेक्टेयर 15 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए. साथ ही, किसानों के निजी नलकूपों का बिजली बिल सरकार माफ करे. किसानों से जुड़ी इन महत्वपूर्ण मांगों को पूरा करने के लिए 10 दिन का वक्त दिया जा रहा है.


अगर 10 दिन में सरकार ने पूरी नहीं की मांग तो..
सपा राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि 10 दिन के अंदर अगर जिले को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया और किसानों की मांग नहीं मानी गई, तो आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी.


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"ऐसे ही चलता रहेगा तो बेटियों की शादी कैसे होगी?"
वहीं, कदवा क्षेत्र के किसानों ने कहा बारिश कम होने से उनकी खेती बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है. जो भी उनके पास साधन हैं, उन साधनों का प्रयोग करके खेती को बचाने का प्रयास किया गया. लेकिन बारिश कम होने से खेत में रोपी गई फसल भी बर्बाद होने की कगार पर है. वहीं, हम सरकार से मांग करते हैं कि जनपद को सूखा घोषित किया जाए और हमारी मदद की जाए. क्योंकि खेती हमारा एकमात्र सहारा है और धान की अच्छी फसल होने पर हम इसको बेच कर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं. धान की अच्छी फसल नहीं होगी, तो बेटी की शादी कैसे होगी और जरूरतें पूरी कैसे होंगी? 


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