Chhath Pooja 2021: आज से शुरू हुआ चार दिन का महापर्व छठ, 'नहाय खाय' से लेकर 'सूर्योदय के अर्घ्य' तक जानें सबकुछ
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Chhath Pooja 2021: आज से शुरू हुआ चार दिन का महापर्व छठ, 'नहाय खाय' से लेकर 'सूर्योदय के अर्घ्य' तक जानें सबकुछ

यह महापर्व मुख्यत: बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है. आइये जानते हैं इस महापर्व से जुड़ी तिथियां, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: महापर्व छठ की शुरूआत (Chhath Pooja 2021) आज नहाय-खाय के साथ हो गई है. संतान प्राप्ति, रोगमुक्ति और सुख-सौभाग्य की कामना से रखा जाने वाला यह व्रत कठिन व्रतों में से एक है. इस पर्व की तैयारियां कई दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं. नहाय खाय के अगले दिन खरना होता है. तीसरे दिन छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है. इस महापर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चार दिनों के पर्व के आखिरी दिन उगते सूर्य की पूजा की जाती है. ऐसे चार दिवसीय छठ पर्व का समापन होता है. यह महापर्व मुख्यत: बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है. आइये जानते हैं इस महापर्व से जुड़ी तिथियां, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा...

शुभ मुहूर्त (Chhath Puja Muhurat)
छठ पूजा (10 नवंबर 2021) के दिन सूर्योदय - 20 नवंबर, 6:40 मिनट AM
छठ पूजा (10 नवंबर 2021) के दिन सूर्यास्त - 20 नवंबर, 5: 30 मिनट PM

चार दिनों तक चलती है छठ पूजा, यहां देखें कार्यक्रम 
8 नवंबर 2021, पहला दिन (नहाय खाय):
इस महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान आदि करके नए वस्त्र पहनती हैं और शाम को शाकाहारी पकवान खाती हैं. आज सूर्योदय 6:38 मिनट पर और सूर्यास्त 5:31 मिनट पर होगा. 

9 नवंबर 2021, दूसरा दिन (खरना): कार्तिक शुक्ल पंचमी को महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को भोजन करती हैं. इस दिन शाम को बेहद स्वादिष्ट गन्ने की रस की खीर बनाई जाती है. इस साल खरना या लोहना 9 नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 39 मिनट पर और सूर्यास्त 5 बजकर 30 मिनट पर होगा.

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10 नवंबर 2021, तीसरा दिन (षष्ठी के दिन): यह महापर्व का सबसे प्रमुख दिन होता है. इस दिन छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है. प्रसाद को बांस की टोकरी में सजाया जाता है. टोकरी को दउरा या दौरा भी कहा जाता है. इस टोकरी की पूजा भी की जाती है. व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा करने नदी या तालाब पर जाती हैं. वहां स्नान कर डूबते हुए सूरज की पूजा करती हैं. इस वर्ष यह पर्व 10 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा.  इस दिन सूर्यादय 6 बजकर 40 मिनट पर और सूर्यास्त 5 बजकर 30 मिनट पर होगा.

11 नवंबर 2021, चौथा दिन: छठ पूजा का अंतिम दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि होती है. इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. पूजा के बाद लोगों में प्रसाद बांटा जाता है. ऐसे छठ पूजा संपन्न होती है. इस वर्ष 11 नवंबर को इस महापर्व का समापन होगा. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 41 मिनट पर और सूर्यास्त 5 बजकर 29 मिनट पर होगा.

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क्या है पौराणिक कथा?
एक पौराणिक कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रथ से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए.

उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. जब राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे शिशु पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया. 

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सूर्य की आराधना का है खास महत्व 
इस पर्व में सूर्य की उपासना का खास महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली माता सूर्य देव की बहन हैं. इस व्रत में सूर्य की आराधना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और परिवार में सुख-शांति तथा संपन्नता प्रदान करती हैं. हर वर्ष छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है.

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