Chhath Puja 2022: छठ का महापर्व आज से शुरू, जानें सूर्य को अर्घ्य का समय, नहाय खाय से लेकर खरना तक सब कुछ
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1411444

Chhath Puja 2022: छठ का महापर्व आज से शुरू, जानें सूर्य को अर्घ्य का समय, नहाय खाय से लेकर खरना तक सब कुछ

Chhath Puja 2022: छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाता है.इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है. ये पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है.

Chhath Puja 2022: छठ का महापर्व आज से शुरू, जानें सूर्य को अर्घ्य का समय, नहाय खाय से लेकर खरना तक सब कुछ

CHHATH PUJA 2022: छठ पूजा की शुरुआत आज यानी 28 अक्टूबर शुक्रवार से हो रही है. 29 अक्टूबर को खरना है. 30 अक्टूबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, उसके अगले दिन सुबह यानी 31 अक्टूबर को उदयगामी यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा. इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के दिन 28 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी.

छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाता है.इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है. ये पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्य बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.

छठ पर होती है सूर्य देव और छठी मैया की पूजा
छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है जिसे पूरे देश में बेहद धूमधाम से मनाई जाता है.छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. संतान की दीर्घायु, सौभाग्य और खुशहाल जीवन के लिए महिलाएं छठ पूजा में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं.

छठ पूजा में मां पार्वती के छठे स्वरूप और भगवान सूर्य की बहन छठी मैया की पूजा की जाती है. छठ पूजा के दौरान व्रत करने वाली महिलाएं बिना सिलाई की हुई साड़ी पहनती है. ये बेहद कठोर व्रत होता है.  चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में 36 घंटों तक लगातार उपवास चलता है. ज्यादातर इस व्रत को महिलाएं ही करती आ रही हैं, हालांकि अब बड़ी संख्या में पुरुष भी इस उत्सव में व्रत का पालन करने लगे हैं.

छठ पूजा का पहला दिन-नहाय-खाए-28 अक्टूबर 2022 
दीवाली के चौथे दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाए की परंपरा निभाई जाती है.नहाए खाए-छठ पूजा का पहला दिन नहाए खाए के नाम से जाना जाता है.28 अक्टूबर 2022 से छठ पूजा का आरंभ होगा. इस दिन घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है. इस दिन व्रती सिर्फ एक बार भोजन ग्रहण करते हैं. उस भोजन में चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात खाई जाती है. इस दिन खाना पकाने के लिए आम की लकड़ी और मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग किया जाता है.

छठ पूजा का दूसरा दिन-खरना- 29 अक्टूबर 2022
छठ पूजा का दूसरे दिन को खरना भी कहते हैं. दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं. इस दिन को खरना कहा जाता है इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं सूर्यास्त के बाद पानी तक ग्रहण नहीं करती. इस दिन शाम के समय गुड और चावल की बनी खीर बनाई जाती है. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है.इसके बाद अगले 36 घंटों तक के व्रती महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. सूर्य देव को नैवेद्य देने के बाद व्रती परिवार में प्रसाद बांटते हैं.

Chhath Puja 2022: ठेकुआ बिना अधूरा है छठ का महापर्व, पूजा के इस प्रसाद के फायदे जान हो जाएंगे हैरान

 

छठ पूजा का तीसरा दिन-डूबते सूर्य को अर्घ्य- 30 अक्टूबर 2022
 छठ के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा की मुख्य तिथि होती है. व्रती इस दिन शाम के समय पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करते हैं. बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है. सूर्यास्त से पहले व्रती घुटने भर जल में खड़े होकर, पूजा का सारा सामान हाथों में लेकर, सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं.इस दौरान पूरा परिवार साथ रहता है. सूर्यास्‍त का समय: शाम 5 बजकर 37 मिनट.

छठ पूजा का चौथा दिन-उगते सूर्य को अर्घ्य- 31 अक्टूबर 2022
चौथे दिन यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन  सभी विधि- विधान संध्या वाले अर्घ्य की तरह ही होते हैं. इस दिन सूर्योदय से पहले ही भक्त सूर्य देव की दर्शन के लिए पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं.उगते हुए सूर्य को अर्घ्य  देने के बाद प्रसाद का वितरण कर व्रती घर जाकर पूजा करती हैं. जिसके बाद कच्चे दूध या शरबत पीकर व्रत पूर्ण किया जाता है, जिसे पारण कहते हैं.सूर्योदय का समय: सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर .

सूर्य देव को संध्या अर्घ्य का विधान 
शाम को सूर्य देव को संध्या अर्ध्य दिया जाता है. सूर्य देव को कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को संध्या अर्ध्य दिया जाता है. डुबते सूर्य को संध्या अर्घ्य देने का रिवाज केवल छठ में ही है. सूर्य देव को अर्घ्य देकर, पांच बार परिक्रमा लगाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि सायंकाल में सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसीलिए शाम के समय सूर्य देव की अंतिम किरण प्रत्यूषा को संध्या अर्ध्य देकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

Chhath Puja 2022: छठ पूजा के पहले दिन बनता है कद्दू-भात का प्रसाद, जानें नहाय खाय की सही विधि

 

 

Trending news