Commonwealth Games-2022: भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स का 8वां दिन बेहद शानदार है. शुक्रवार को रेसलिंग के मुकाबले शुरू हुए और भारत ने एक के बाद एक तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल पर अपना कब्जा कायम कर लिया है. जिसमें पुनिया ने पुरुष फ्रीस्टाइल 65 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में कनाडा के मैकनील लाचलन को हराकर स्वर्ण पदक जीता. वहीं, अंशु मलिक ने सिल्वर पर कब्जा किया.


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इसके बाद भारत की झोली में दूसरा गोल्ड मेडल डालते हुए साक्षी मलिक ने अपने देश का नाम रोशन किया. यह सिलसिला यहीं नहीं रुका शुक्रवार की देर रात दीपक पुनिया ने पाकिस्तान के पहलवान मोहम्मद इनाम बट धूल चटाकर रेसलिंग में तीसरा गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया है. आपको बता दें कि पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने रेसलिंग में 12 मेडल जीते थे, जिनमें से 5 गोल्ड मेडल थे. 


साक्षी मलिक ने शानदार अंदाज में की सफर की शुरुआत 
कॉमनवेल्थ गेम्स में 62 किग्रा फ्रीस्टाइल के क्वार्टरफाइनल मैच में साक्षी मलिक ने इंग्लैंड की कैल्सी बार्नेस को मात दी. साक्षी ने यह मैच 10-0 से जीता. साक्षी यहीं नहीं रुकीं, सेमीफाइनल में उनका सामना कैमरून की  बर्थे एलिमियेनी से हुआ. यह मैच भी साक्षी ने एकतरफा जीता. साक्षी ने इस मैच में भी 10-0 यानी कि टेक्निकल सुपरियटी के तौर पर बढ़त ली और मैच अपने नाम कर लिया. 


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ऐसा रहा फाइनल मुकाबले का सफर
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की बेटी साक्षी मलिक ने महिलाओं की 62 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता. फाइनल में साक्षी मलिक का कनाडा की एना गोंडिनेज गोंजालेस से सामना हुआ और उन्होंने एना को करारी शिकस्त देते हुए स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. पहले हाफ के बाद साक्षी 4-0 से हार रही थीं, ब्रेक के बाद साक्षी ने एक के बाद एक अटैक कर पहले मैच ड्रॉ किया और पिनफॉल के जरिए इसे जीत लिया. इस तरह मैच के दूसरे हाफ में साक्षी ने शानदार गेम खेलते हुए अपनी प्रतिद्वंदी को हराते हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का दबदबा कायम किया. 


खुद को फिर से साबित कर दिखाया
साक्षी मलिक ओलंपिक गेम्स में भी अपना लोहा मनवा चुकी हैं. आपको बता दें कि इससे पहले कॉमनवेल्थ गेम्स-2014 में साक्षी सिल्वर मेडल और कॉमनवेल्थ गेम्स-2018 में ब्रॉन्ज भारत के नाम कर चुकी हैं. 2016 में साक्षी ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी थीं, लेकिन इस ब्रॉन्ज मेडल ने साक्षी को वो खुशी नहीं दी थी. इसके बाद भी उनकी आंख में आंसू आ गए थे. इसके बाद टोक्यों ओलंपिक के लिए साक्षी क्वॉलिफाई नहीं कर पाई थीं.  यहीं से उन्होंने अपनी शानदार वापसी के लिए पहला कदम रखा और उन्होंने खुद को एक काबिल रेसलर साबित कर दिखाया. 


दीपक पुनिया ने भारत को दिलाया तीसरा गोल्ड
वहीं, कॉमनवेल्थ गेम्स में दीपक पुनिया ने पाकिस्तानी पहलवान मोहम्मद इनाम बट को पटकते हुए गोल्ड मेडल जीता.  बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के 8वें दिन यानी शुक्रवार देर रात दीपक ने 86 किलोग्राम फ्री स्टाइल कैटेगरी में अपने प्रतिद्वंदी को 3-0 से शिकस्त दी. इस तरह भारत ने कुश्ती में तीसरा और ओवरऑल 9वां गोल्ड हासिल किया. इससे पहले बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक अपनी-अपनी कैटेगरी में सोने का तमगा हासिल कर चुके हैं. 


पांच साल की उम्र में की थी कुश्ती खेलने की शुरुआत
आपको बता दें कि हाल ही में एशियन चैंपियनशिप में भी दीपक पुनिया सोने पर जीत हासिल करते-करते चूक गए, लेकिन अब उन्होंने पिछली हार की हिसाब बराबर करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया है. हरियाणा के झज्जर क्षेत्र में जन्मे दीपक के पिता सुभाष पुनिया एक डेयरी किसान हैं. दीपक ने अपने करियर की शुरुआत पांच साल की उम्र में कर दी थी. उन्होंने अर्जुन अवार्डी वीरेंद्र सिंह छारा के नेतृत्व वाले एक अखाड़े से करियर शुरू किया था. 


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