यूपी में उन कर्मचारियों पर एक्शन होने जा रहा है जो कार्य में लापरवाही के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त हैं....सरकार ने इनकी स्क्रीनिंग के लिए बकायदा विजिलेंस और सीबीसीआईडी के साथ स्क्रीनिंग कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी है..
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कठोर कदम उठा रही है. अब सरकार की चाबुक दागी और लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर चलने जा रहा है. यूपी (Uttar Pradesh) में कामकाज में लापरवाह और अपेक्षित दक्षता नहीं रखने वाले कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कर उन्हें अनिर्वाय सेवानिवृत्ति दी जाएगी. मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा (Durgashankar Mishra) ने सभी विभागों में 50 साल तक की आयु पूरी कर चुके कर्मचाारियों की स्क्रीनिंग 31 जुलाई (31st July) तक करने का शासनादेश जारी किया है.
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मुख्य सचिव ने सभी विभागों को दिए निर्देश
राजकीय सेवा नियमावली (government service manual) के तहत नियुक्ति अधिकारी किसी भी समय किसी भी कर्मचारी को 50 साल की उम्र पूरी करने के बाद बिना कोई कारण बताए 3 महीने का नोटिस देकर अनिर्वाय सेवानिवृत्त कर सकता है. मुख्य सचिव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को उनके अधीन कार्यरत सभी कार्मिकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए 31 जुलाई तक स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिए है. मुख्य सचिव ने साफ किया है कि यदि किसी कर्मचारी के मामले को पहले स्क्रीनिंग कमेटी के सामने रखकर उसे सेवा में बनाए रखने का फैसला किया जा चुका है तो उस कर्मचारी का मामला पुन: कमेटी में रखने की जरुरत नहीं है.
50 साल से ज्यादा उम्र के कर्मचारी आएंगे दायरे में
वो कर्मचारी जिनकी उम्र 31 मार्च 2022 को 50 साल या इससे ज्यादा होगी वह स्क्रीनिंग के दायरे में आएंगे. मुख्य सचिव ने अनिवार्य सेवानिवृत्त किए गए कार्मिकों की सूचना 15 अगस्त तक कार्मिक विभाग को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है.
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