1 नवंबर 1956 को ही बुंदेलखंड राज्य का अस्तित्व समाप्त किया गया था. इसे काला दिन करार देते हुए झांसी में पृथक बुंदेलखंड की मांग में विरोध प्रदर्शन किया गया.
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अब्दुल सत्तार/झांसी: अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग का मुद्दा एक बार फिर गरम होने लगा है. मंगलवार को इस मुद्दे पर झांसी में बुंदेलखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया. इस मौके पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन प्रशासन को सौंपा. कार्यकर्ताओं ने एक नवंबर के दिन को काला दिवस घोषित करते हुए कहा कि आज ही के दिन बुंदेलखंड राज्य के अस्तित्व को खत्म कर दिया गया था.
प्रदर्शनकारियों ने बताया काला दिवस
बुंदेलखंड क्रांति दल के अध्यक्ष सत्येंद्र पाल सिंह ने कहा कि 1 नवंबर के दिन 1956 को बुंदेलखंड राज्य को खत्म कर दिया गया था. यह हमारे लिए काला दिवस है. बुंदेलखंड के सभी 14 जिलों में हमने प्रदर्शन किया. प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि बुंदेलखंड राज्य का निर्माण कराएंगे और उन्हें वादा याद दिलाने के लिए हमने प्रदर्शन किया है. बुंदेलखंड राज्य इस समय उपेक्षा का शिकार है और यहां सबसे अधिक पलायन है.
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विकास और भाषाई पहचान बनी मुद्दा
तत्कालिन सरकार ने 1948 में बुंदेलखंड और बघेलखंड को मिलाकर विन्ध्य प्रदेश बनाया. उस समय दोनों क्षेत्रों की अलग-अलग सरकारें सत्तासीन हुईं. फिर 1956 में मध्यप्रदेश का गठन कर बुंदेलखंड को दो भाग में बांट दिया गया. उसी समय से बुंदलेखंड की मांग की जा रही है. बुंदेलखंड की मांग करने वाले इसके पीछे विकास में पिछड़ेपन को भी मुद्दा बनाते हैं. बुंदेलखंड के पैरोकार इसके पीछे बुंदेली भाषाई एकजुटता का भी तर्क देते हैं. हालांकि एक तरफ जहां बुंदेलखंड की मांग की जाती है वहीं पृथक विंध्य प्रदेश की मांग भी लंबे समय से उठ रही है. बुंदेलखंड के समर्थक जहां मध्यप्रदेश के पन्ना, छतरपुर जैसे कुछ जिलों को शामिल किए जाने की मांग कर इसे साकार करना चाहते हैं वहीं विंध्य प्रदेश के समर्थक बुंदेलखंड के कुछ जिलों के साथ अलग राज्य की मांग दोहराते हैं.