Dev Uthani Ekadashi 2021: इन कथाओं के बिना अधूरी है देवउठनी की पूजा, जानें श्रीहरि कैसे होंगे खुश?
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1027287

Dev Uthani Ekadashi 2021: इन कथाओं के बिना अधूरी है देवउठनी की पूजा, जानें श्रीहरि कैसे होंगे खुश?

Dev Uthani Ekadashi 2021: देवउठनी की पूजा करते समय इस कथा को सुनने से होगा बेड़ा पार, श्रीहरि हो जाएंगे खुश, जानें पूजा-विधि समेत सब कुछ

Dev Uthani Ekadashi 2021: इन कथाओं के बिना अधूरी है देवउठनी की पूजा, जानें श्रीहरि कैसे होंगे खुश?

Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है. हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है. देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी (Tulsi) के विवाह का आयोजन भी किया जाता है. इस दिन से भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं और इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इस साल देवउठनी एकादशी 14 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने का शयन काल पूरा करने के बाद जागते हैं. धार्मिक मान्यताओं में एकादशी से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं.

यह है पौराणिक मान्‍यता
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरी ने शंखासुर नाम के दैत्य का वध किया था. दोनों के बीच काफी लंबे समय तक युद्ध चला था. शंखासुर के वध के बाद जैसे ही युद्ध समाप्त हुआ भगवान विष्णु बहुत ज्यादा थक गए। इसलिए युद्ध समाप्त होते ही वह सोने के लिए प्रस्थान कर गए। भगवान इस दिन क्षीरसागर में जाकर सो गए और इसके बाद वह कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागे.

Ekadashi 2021: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये काम, वरना भगवान विष्णु हो जाएंगे नाराज

ये पौराणिक कथा भी प्रचलित
देवउठनी एकादशी के संबंध में एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है, जिसके अनुसार, एक बार माता लक्ष्मी भगवान विष्णु से पूछती हैं कि स्वामी आप रात-दिन जगते ही हैं या फिर लाखों-करोड़ों वर्ष तक योग निद्रा में ही रहते हैं. आपके ऐसा करने से संसार के सभी प्राणियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मां लक्ष्मी ने भगवान विष्षु से कहा कि आपसे अनुरोध है कि आप नियम से हर साल निद्रा लिया करें. इससे मुझे भी कुछ समय विश्राम करने का समय मिल जाएगा.

लक्ष्मी जी की बात सुनकर नारायण मुस्कुराए और बोले- ‘देवी! तुमने ठीक कहा, मेरे जागने से सब देवों और खासकर तुमको कष्ट होता है. और मेरे कारण तुमको जरा भी आराम नहीं मिलता. अतः तुम्हारे कहेअनुसार मैं प्रतिवर्ष 4 महीने बारिश के मौसम में सो जाया करूंगा. मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलय कालीन महानिद्रा कहलाएगी. मेरी यह अल्पनिद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी होगी. इस काल में जो भी भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे और शयन और उत्थान के उत्सव को आनंदपूर्वक आयोजित करेंगे उनके घर में, मैं आपके साथ निवास करूंगा.’

Ekadashi 2021: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये काम, वरना भगवान विष्णु हो जाएंगे नाराज

एकादशी के दिन करें ये काम 
ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन दान करना बहुत अच्छा होता है. अगर हो सके तो एकादशी के दिन गंगा स्नान अवश्य करें. अगर विवाह करने में परेशानी आ रही है तो इन बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला और हल्दी का दान करना चाहिए. मान्यता है कि एकादशी का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के अलावा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. ऐसा कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है.

देव उठानी एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि का प्रारम्भ: 14 नवम्बर, 2021 को सुबह 5 बजकर 48 मिनट से
एकादशी तिथि का समाप्त: 15 नवम्बर, 2021 को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर

देवोत्थान एकादशी का महत्व
देवोत्थान एकादशी का वर्णन स्कंद पुराण और महाभारत में भी है. ऐसा कहा जाता है कि एक बार धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा सर्वश्रेष्ठ एकादशी और उसके महात्व के प्रश्न पर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें बताया कि मानव कल्याण के लिए वैसे तो सभी एकादशी का खास महत्व है, लेकिन चातुर्मास के पश्चात श्रीहरि जागृत अवस्था में आने के पश्चात एक बार पुनः ब्रह्माण्ड का कार्य संचालन संभालते हैं. इसलिए उनका षोडशोपचार विधि से पूजा अनुष्ठान करना आवश्यक होता है. इस व्रत-पूजा से जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी हो होती है.

देवोत्थान एकादशी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन श्रीहरि के शालिग्राम स्वरूप की तुलसी से विवाह की परंपरा निभाई जाती है, और अगले दिन से सनातन धर्म में विवाह समेत सभी मंगल कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. 

Note- इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हम इनकी पुष्टि नहीं करते हैं. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.

Dev Uthani Ekadashi 2021: जानें कब है देवउठनी एकादशी? फटाफट नोट कर लें तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

WATCH LIVE TV

 

Trending news