Aligarh Positive News: उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि फर्टिलाइजर या पेस्टिसाइड मनुष्य अपने हाथों से छिड़कता है तो इसके दुष्प्रभाव हैं. ये दुष्प्रभाव ड्रोन के प्रयोग से नहीं होंगे. पेस्टिसाइड डालते समय इसकी गंध सांस के साथ अंदर जाने से मनुष्य को कई परेशानियां होती हैं. जिससे अब बचा जा सकेगा.
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अलीगढ़: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों की बेहतरी के लिए एक के बाद एक लगातार कदम उठा रही है. इसी के तहत अब उत्तर प्रदेश के किसान खेतों में दवाओं के छिड़काव के लिए ड्रोन का सहारा ले सकेंगे. जिससे दवा के छिड़काव से किसानों को होने वाले इंफेक्शन से बचाया जा सकेगा. साथ ही कम लागत में अधिक फसल पर दवाओं का छिड़काव भी संभव हो पाएगा. इस बात की जानकारी अलीगढ़ में दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दी.
कृषि मंत्री ने कहा
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कहा, "भारत में अब खेती में भी टेक्नोलॉजी का उपयोग हो रहा है. इसकी वजह से जो यूरिया पहले 45 किलो लगती थी, वह घटकर 10 किलो तक आ गई है. उन्होंने बताया कि आम तौर पर जो पेस्टिसाइड तीन से चार किलो लगता है, वो घटकर 1 लीटर पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा कि स्वाभाविक रूप से किसान की खेती में अधिक फर्टिलाइजर के प्रयोग से फसलें खराब होती हैं. इस नई पहल से काफी बचत होगी."
पेस्टिसाइड का हाथों से छिड़काव होता है दुष्प्रभावी
मंत्री ने कहा जब फर्टिलाइजर या पेस्टिसाइड मनुष्य अपने हाथों से छिड़कता है तो इसके दुष्प्रभाव हैं. ये दुष्प्रभाव ड्रोन के प्रयोग से नहीं होंगे. उन्होंने बताया कि मैनुअल तरीके से छिड़काव करने पर सांस लेने पर बेहद खराब प्रभाव पड़ता है. क्योंकि पेस्टिसाइड या किसी भी केमिकल को डालते समय इसकी गंध सांस के साथ अंदर जाने से मनुष्य को कई परेशानियां होती हैं. जिससे अब बचा जा सकेगा. उन्होंने ड्रोन के प्रयोग का तीसरा फायदा बताते हुए कहा कि किसान को 1 एकड़ में छिड़काव करने में लगभग 3 घंटे का समय लगता है. वहीं, ड्रोन के माध्यम से मात्र 10 मिनट में काम हो जाएगा.
ड्रोन से दवा का छिड़काव करने से आएगी समय और लागत में कमी
कृषि मंत्री ने कहा कि ड्रोन से केमिकल या दवाओं का छिड़काव कराने से समय और लागत में कमी आएगी. इसीलिए हमने फैसला लिया है कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल करेंगे. हमने परसों ही लखनऊ में इसका रिमोष्टेशन कराया है. इसके लिए हमारे 2 विश्वविद्यालयों ने ड्रोन खरीद लिया है. आगे आने वाले समय में इसकी ट्रेनिंग भी दी जा रही है. ड्रोन को ऑपरेट करने वालों के लिए लाइसेंस और ट्रेनिंग लेना अनिवार्य होगा.
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