Uttarakhand Election 2022:Farm Laws Repeal के बाद तराई की 11 सीटों पर क्या खिलेगा कमल?
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Uttarakhand Election 2022:Farm Laws Repeal के बाद तराई की 11 सीटों पर क्या खिलेगा कमल?

केंद्र सरकार द्वारा कृषि बिल को वापस (Farm Laws Repeal) लेने के निर्णय के बाद किसानों में खुशी की लहर है तो वहीं किसान बाहुल्य विधानसभा सीटों पर इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है.

सांकेतिक तस्वीर

उधम सिंह नगर: केंद्र सरकार द्वारा कृषि बिल को वापस (Farm Laws Repeal) लेने के निर्णय के बाद किसानों में खुशी की लहर है तो वहीं किसान बाहुल्य विधानसभा सीटों पर इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है. माना जा रहा था की कृषि कानून को लेकर किसान काफी नाराज थे और तराई वाले इलाकों में माहौल बीजेपी के खिलाफ जा रहा था, कृषि कानून वापस होने से तराई वाले इलाकों की विधानसभा सीटों पर क्या प्रभाव हो सकता है. पढ़िए इस खास रिपोर्ट में....

इन सीटों पर हुआ था सबसे ज्यादा विरोध 
उधम सिंह नगर की जसपुर, काशीपुर, बाजपुर,गदरपुर, रुद्रपुर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता और खटीमा, नैनीताल जिले के लालकुआं और रामनगर विधानसभा सीट किसान बाहुल्य है. कानून लाए जाने के बाद इन सभी इलाकों में किसान आंदोलन कर रहे थे. सबसे ज्यादा विरोध बाजपुर, जसपुर, गदरपुर, रूद्रपुर वाले इलाकों में हुआ, यह पहले से ही माना जा रहा था कि इन सभी सीटों पर बीजेपी के खिलाफ माहौल बन रहा था, क्योंकि खटीमा सीएम पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा सीट है, बाजपुर से विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.

कांग्रेस के पास नहीं रह गया अब कोई मुद्दा 
कृषि कानून वापस लेने के बाद बीजेपी खुद को अब इन सीटों पर मजबूत मान रही हैं. बीजेपी का मानना है कि जब कोई भी कानून केंद्र सरकार द्वारा बनाया जाता है तो उसका साइड इफेक्ट पड़ता है. लेकिन, जिस तरीके से कल देश के प्रधानमंत्री ने कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा की. उसके बाद अब विपक्ष के पास कोई भी मुद्दा नहीं रह गया है क्योंकि कृषि कानून को लाए जाने के बाद केंद्र सरकार के विरोध में किसानों के साथ मिलकर कांग्रेस ने ही केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश की थी.

क्या बोले कांग्रेस नेता? 
कांग्रेस ने कृषि बिल की वापसी को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है, कांग्रेस नेता इंदु मान के मुताबिक पिछले 7 सालों में आखिर केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम क्यों नहीं लगाई. पिछले 1 साल में केंद्र सरकार ने कृषि कानून बिल वापस क्यों नहीं लिया, कृषि बिल वापस लेने के पीछे सबसे बड़ी वजह यही है पिछले दिनों आए चुनाव परिणाम के चलते केंद्र सरकार बुरी तरह घबरा गई थी. स्थानीय लोगों के मुताबिक यदि केंद्र सरकार करीब 6 महीने पहले किसानों से बातचीत कर कृषि बिल वापस ले लेती तो बीजेपी को सकारात्मक परिणाम मिलता. लेकिन, अब किसान केंद्र सरकार की नीतियों को समझ चुके हैं.

कांग्रेस किसानो के साथ मिलकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गये कृषि कानूनों का लगातार तराई वाले इलाकों में विरोध कर रही थी, जिससे बीजेपी किसान बाहुल्य सीटों पर काफी कमजोर पड़ रही थी, लेकिन अब केंद्र सरकार ने कृषि बिल वापस ले लिया है. अब चुनाव नजदीक हैं कल तक जो विपक्ष किसानों के साथ मिलकर कृषि बिल को आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बड़ा मुद्दा बनाने में जुटा हुआ था. उसी कांग्रेस को बीजेपी कृषि बिल वापस लेने के बाद कांग्रेस को अब मुद्दा विहीन बता रही है, अब आने वाले विधानसभा चुनाव में देखना यही है कि तराई की 11 किसान बाहुल्य सीटों पर कमल तेजी से खिलेगा या कांग्रेस को किसानों के हाथ का साथ मिलेगा. 

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