Farrukhabad: कभी वर्दी के जोश में चलाई थी ताबड़तोड़ गोलियां, आज बेटों के कंधों पर गया जेल
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Farrukhabad: कभी वर्दी के जोश में चलाई थी ताबड़तोड़ गोलियां, आज बेटों के कंधों पर गया जेल

2005 में इस हत्याकांड से इलाके में सनसनी फैल गई थी. आइए बताते हैं कैसे दिया गया था इस खूनी वारादात को अंजाम...

Farrukhabad: कभी वर्दी के जोश में चलाई थी ताबड़तोड़ गोलियां, आज बेटों के कंधों पर गया जेल

अरुण सिंह/फर्रुखाबाद: 'भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं' आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी. फर्रुखाबाद में 18 साल पुराने एक हत्‍या के मामले में पीड़ित परिवार को अब इंसाफ मिला है. यहां 2005 में हुए चर्चित हत्याकांड को लेकर न्यायालय ने हत्‍या में शामिल 2 पुलिसकर्मियों समेत चार लोगों को दोषी ठहराया है. कोर्ट ने सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं, कोर्ट के फैसले के बाद भी पीड़ित परिवार संतुष्‍ट नहीं है.

क्या है पूरा मामला
मामला पुरानी रंजिश का बताय जा रहा है. यहां नदौरा गांव के रहने वाले केशव उर्फ घासीराम को मारने के लिए आरोपी उनका पीछा कर रहै थे. घासीराम अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे. भागते-भागते वह एक ट्यूबवेल की कोठरी में छिप गए और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. हत्यारोपी उस कोठी को घेरे हुए थे लेकिन अंदर नहीं जा पा रहे थे. इसी दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस के 2 जवान लक्ष्मीनारायण और सूरज प्रकाश सामने आते हैं, और कहते हैं कि वे मेरापुर थाना की पुलिस हैं. आप सुरक्षित हैं और बाहर निकलिए. जैसे ही घासीराम गेट खोलते हैं उनके ऊपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी जाती हैं. इससे उनकी मौके पर ही मौत हो जाती है. 

अपराधियों की पृष्ठभूमि
2005 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (SP) की सरकार थी और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे. नदौरा गांव के रहने वाले आरोपी दल गजन सिंह यादव सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के समधी हुआ करते थे. दल गंजन सिंह की पुत्री का विवाह रामगोपाल के पुत्र से हुआ था. हालांकि, दल गजन सिंह इस पूरे मामले में दोषी थे, लेकिन उनकी मृत्यु हो चुकी है. उनका पुत्र राजू उर्फ राजेश भी इस घटना में शामिल था. उसको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. 
 
2 साल बाद दाखिल हुई थी चार्जशीट
पुलिस ने 2007 में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. मुकदमे में सिपाही लक्ष्मी नारायण, सिपाही सूरज प्रकाश, सहित राजू उर्फ राजेश, संजीव उर्फ संजेश को दोषी ठहराया गया है. विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट (sc-st Act) महेंद्र सिंह ने आजीवन कारावास के साथ 50-50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है. साथ ही इस पैसे की आधी रकम मृतक की पत्नी माधुरी को देने का आदेश भी दिया है. इस पूरे प्रकरण में दोषी सिपाही सेवानिवृत्त हो चुके हैं, और अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव में हैं. लक्ष्मीनारायण तो अपने बेटों के कंधों पर जेल जाते दिखाई दिए.

वहीं मृतक के भाई दिनेश का कहना है कि वह इस फैसले से अभी संतुष्ट नहीं है. काफी राजनीतिक दबाव के बाद फैसला उनके पक्ष में आया है. लेकिन इसके बावजूद भी 3 लोगों को बरी कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया है कि तीन अन्य लोग भी हत्या में बराबर के भागीदार थे.

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