पढ़िए गायत्री प्रजापति की करतूतें: नाबालिग से किया गैंग रेप, शिकायत करने पर जान का दुश्मन बन बैठा था
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पढ़िए गायत्री प्रजापति की करतूतें: नाबालिग से किया गैंग रेप, शिकायत करने पर जान का दुश्मन बन बैठा था

सत्ता के नशे में चूर होकर एक नाबालिग की जिंदगी बर्बाद करने वाले गायत्री प्रजापति को कल ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

पढ़िए गायत्री प्रजापति की करतूतें: नाबालिग से किया गैंग रेप, शिकायत करने पर जान का दुश्मन बन बैठा था

लखनऊ: चित्रकूट नाबालिग गैंगरेप केस के आरोपी और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prajapati) को शुक्रवार यानी 12 नवंबर को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई. गुरुवार को गायत्री प्रजापती को दोषी तय किया गया था. वहीं, मामले में गायत्री के साथ तीन और दोषियों पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. 

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बदसलूकी के बाद जान से मारने की धमकी का था आरोप
आज से 4 साल पहले यानी साल 2017 में चित्रकूट की रहने वाली एक महिला ने तत्कालीन सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति समेत चार लोगों पर अपने और अपनी बेटी के साथ गैंगरेप की कोशिश का आरोप लगाया था. जब महिला ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो गायत्री प्रजापति और उसके साथियों ने उसके पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी. इसके बाद पीड़िता ने न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका दायर की थी.

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गायत्री प्रजापति के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज हुआ था केस
18 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में गायत्री प्रजापति समेत 6 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. इसके बाद सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. इन सभी के खिलाफ गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था. मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री के अलावा विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह, चंद्रपाल, रूपेश्वर, आशीष शुक्ल और अशोक तिवारी आरोपी बताए गए थे. वहीं, बता दें कि इस मामले में कुल 17 गवाह पेश किए जा चुके हैं.

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शुरुआत से जानें
- साल 2013 में चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती के दौरान पीड़िता की मुलाकात गायत्री प्रजापती से हुई थी. 
- 2014 से 2016 तक गायत्री प्रजापति और कुछ लोगों ने पीड़िता के साथ लगातार सामुहिक दुराचार किया. 
- पीड़िता ने पहली बार साल 2016 में यूपी के डीजीपी को इस मामले की शिकायत की थी.
- 16 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को पीड़िता की तहरीर दर्ज करने का आदेश दिया.
- साल 2017 में गायत्री प्रजापति, विकास वर्मा, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी के खिलाफ यूपी पुलिस ने कई धाराओं में केस दर्ज किया. इसके बाद अमरेन्द्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल और रूपेश्वर उर्फ रूपेश के नाम भी जोड़े गए.
- फिर 2 नवंबर 2021 को सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए गए थे.
- 8 नवंबर 2021 को कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली.
- 10 नवंबर 2021 को गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी और आशीष कुमार को दोषी करार दिया था.
- वहीं, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा चंद्रपाल और रुपेशवर उर्फ रूपेश को साक्ष्यों के प्रमाण के बाद बरी कर दिया गया.

कौन हैं गायत्री प्रसाद प्रजापति?
गायत्री प्रजापति ने साल 1995 के आसपास समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हुए थे. उन्होंने अमेठी विधानसभा से 1996 और 2002 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई. इसके बाद, 2012 के विधानसभा चुनाव में गायत्री प्रजापति अमेठी सीट से जीत गए और फरवरी 2013 में उन्हें सिंचाई राज्यमंत्री बनाया गया. जुलाई 2013 में मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ तो उन्हें स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया. इसके बाद, जनवरी 2014 में उन्हें खनन विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. 

गायत्री प्रजापति ने एक बार फिर 2017 में सपा के टिकट पर अमेठी से चुनाव लड़ा. हालांकि, बीजेपी की गरिमा सिंह के आगे उनकी साइकिल पंक्चर हो गई.

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