friendship tips : जया किशोरी ने लड़का लड़की की फ्रैंडशिप पर दिए टिप्स, बताया दोस्तों को कैसे परखें
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friendship tips : जया किशोरी ने लड़का लड़की की फ्रैंडशिप पर दिए टिप्स, बताया दोस्तों को कैसे परखें

friendship tips : जानी मानी कथा वाचिका जया किशोरी का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें वो  कुछ अलग तरह का ज्ञान दे रही हैं जिसे जानना चाहिए. दरअसल, उन्होंने दोस्ती को बहुत ही सटीक तरीके से परीभाषित किया है. 

 friendship tips (फाइल फोटो)

friendship tips : जानी मानी कथा वाचिका जया किशोरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वो एक इंटरव्यू में बैठी हैं. वैसे तो कथा वाचन करने का उनका एक से एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होता रहता है लेकिन इस वीडियो में वो कुछ अलग तरह का ज्ञान दे रही हैं जिसे जानना चाहिए. यह रोचक होने वाला है कि आखिर इस वायरल वीडियो में जया किशोरी ऐसा क्या खास बता रही हैं. 

दोस्ती के बारे में अहम बातें
दरअसल, सोशल मीडिया पर दिख रही इस वीडियो में जय किशोरी ने दुनिया के सबसे अच्छे रिश्ते दोस्ती के बारे में कुछ अहम बातें कही हैं. दोस्ती क्या है, कौन दोस्त एक सच्चा दोस्त होता है? जया किशोरी ने इस बारे में पूरे विस्तार से बताया है. ये भी कह सकते हैं उन्होंने दोस्ती और अच्छे दोस्त की एक बहुत अच्छी और सटीक परिभाषा दी है. आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा है. 

दोस्ती बहुत जरूरी 
पहले तो जया किशोरी ने यह स्पष्ट कर दिया कि दोस्ती बहुत जरूरी होती है. इसके बाद उन्होंने दोस्ती की परीभाषा बताई. उन्होंने कहा कि शनिवार और रविवार को आप जिन दोस्तों से मिल रहे हैं असल में वो आपके दोस्त नहीं है बल्कि वो आपके मनोरंजन का एक साधन हैं. उन्होंने बताया कि आपके जो असल में दोस्त होंगे वो आपको सिखाएंगे और आप भी उनको सिखाएंगे. वो आपके साथ ग्रो करते हैं. ऐसा नहीं है कि आप हर एक अंतराल में अपने दोस्त से मिले तभी आपकी दोस्ती कायम रह सकती है, क्योंकि आज के समय में लोग व्यस्थ रह रहे हैं. लोग एक शहर से दूसरे शहर जा रहे हैं. अगर आपकी दोस्ती केवल मिलने मिलाने से है तो यह दोस्ती नहीं है. कुछ इस तरह जया किशोरी ने दोस्ती को परिभाषित किया. 

कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती
जया किशोरी ने आगे कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती का जिक्र करते हुए कहा कि- आजकल ऐसा ट्रेंड हो चुका है कि फ्रेंड सपोर्टिव होने चाहिए, तो सपोर्टिव होने का ये मतलब नहीं है कि दोस्त गलत करे तब भी उसका साथ देना है जैसे कर्ण और दूर्योधन की दोस्ती थी. ऐसा नहीं करना है कि तू पाप कर, मार मैं तुम्हारे साथ ही, ये दोस्त नहीं है. जया किशोरी ने जिस तरह से दोस्ती को परिभाषित किया है उस पर अगर कोई अमल करें तो वह अच्छी दोस्ती की परख तो कर ही पाएगा इसके साथ ही एक अच्छा दोस्त बनकर दोस्ती को निभा भी पाएगा. 

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