Basmati Rice : बासमती चावल में असली नकली के खेल को खत्म करने और उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने के लिए FSSAI ने बासमती राइस की क्वालिटी के नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसमें चावल की सुगंध, रंग औऱ अन्य बातें हैं.
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FSSAI Basmati Rice New Quality Standards : बासमती चावल के बाजार में भारत बेताज बादशाह है. उत्तर प्रदेश की तराई बेल्ट और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों के किसानों में बासमती की पैदावार को लेकर जबरदस्त होड़ है. लेकिन किसानों ने बासमती राइस की गुणवत्ता के नए नियमों का पालन नहीं किया तो बाजार में उनका चावल (Basmati Chawal) बिकना मुश्किल हो सकता है, खासकर निर्यात में गिरावट आ सकती है. इस बीच केंद्र सरकार के भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने बासमती चावल की गुणवत्ता से जुड़े नए नियम जारी किए. बासमती चावल में असली नकली के खेल को खत्म करने और उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने के लिए FSSAI ने बासमती राइस की क्वालिटी के नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसमें चावल की सुगंध, रंग औऱ अन्य बातें हैं.
एफएसएसएआई का कहना है कि उसने बासमती चावल की प्रजाति और चावल की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए नए मानक जार किए हैं,जो 1 अगस्त 2023 से लागू हो जाएंगे. खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल और डॉक्टर मनसुख मांडविया की अगुवाई में यह दिशानिर्देश जारी किया गया है. इसमें असली बासमती और नकली बासमती की पहचान से जुड़े नियम भी तय किए गए हैं. इस कदम से नकली बासमती चावल और पॉलिश और चावल में आर्टिफीशियल कलर का इस्तेमाल नहीं हो पाएगा और ग्राहकों को अच्छी गुणवत्ता का उत्पाद सही दाम पर मिल सकेगा.
बासमती के गुणवत्ता मानकों में कई किस्मों का निर्धारित किया गया है.मिल्ड बासमती चावल, ब्राउन बासमती चावल, माइल्ड उसना बासमती चावल और उसना भूरा बासमती को रखा गया है. नए मानक के तहत बासमती चावल में प्राकृतिक सुगंध होनी चाहिए. उसमें किसी ऑर्टीफीशियल फ्लेवर या केमिकल की पॉलिश की सख्त मनाही होी.
प्राकृतिक सुगंध (natural fragrance) से पहचान
बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध को ही बाजार में उसकी असली पहचान माना जाएगा. कृत्रिम रंग, पॉलिश केमिकल एजेंट और कृत्रिम सुगंधों पर पूरी तरह पाबंदी होगी. FSSAI के मुताबिक, नए मानक बासमती चावल के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए फायदेमंद होंगे. इससे अमेरिका, ब्रिटेन, खाड़ी देशों में निर्यात के कड़े मानकों पर बासमती खरा उतरेगा. उपभोक्ताओं को भी खराब माल देकर ठगने की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी.
बासमती का बेताज बादशाह है भारत
दुनिया भर के बासमती मार्केट में भारत की हिस्सेदारी 65 फीसदी से अधिक है. बासमती राइस ज्यादा पाने वाले तराई के इलाकों में चावल की एक प्रीमियम किस्म है. इसका चावल लंबा, बनावट, सुगंध और लजीज स्वाद के कारण अलग होता है.प्रीमियम बासमती राइस की कीमत भी काफी ज्यादा होती है.
बासमती निर्यात में आई थी कमी
खरीफ सीजन में धान बड़ी फसल है. बासमती निर्यात में यूपी की हिस्सेदारी 30 फीसदी है. बासमती का भारतीय बाजार 40 से 45 हजार करोड़ रुपये का है.पिछले साल बासमती निर्यात में 15 प्रतिशत के करीब कमी देखने को मिली थी. इसके पीछे की वजह ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल था, क्योंकि खाड़ी देशों, यूरोपीय देशों ने ज्यादा पेस्टीसाइड का हवाला देते हुए चावल की खेप लौटा दी थी. इसके बाद एपीडा की सिफारिश पर चावल की कुछ किस्मों में कीटनाशक के इस्तेमाल पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने बैन लगाया.
इन पेस्टीसाइड पर प्रतिबंध
योगी आदित्यनाथ सरकार ने 10 कीटनाशकों पर पिछले साल अक्टूबर 2022 में प्रतिबंध लगाया था. इनमें बुप्रोफेजिन, ट्राइसाइक्लोजॉल, क्लोरपाइरोफॉस, एसीफेट, मेथमिडोफॉस, थायोमेथाक्साम, प्रोपिकोनाजोल, प्रोफेनाफॉस, आइसोप्रोथियोलेन और कार्बेंडडाजिम हैं.
उत्तर प्रदेश में कीटनाशकों पर प्रतिबंध
इससे पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बासमती पैदावार वाले 30 जिलों में 10 तह के कीटनाशकों पर पाबंदी लगा चुकी है. इसमें अलीगढ़, मेरठ, औरेया, बदांयू, बरेली, रामपुर, पीलीभीत एटा, शाहजहांपुर, फर्रूखाबाद, कासगंज, इटावा, बागपत, फिरोजाबाद, बुलंदशहर शामिल हैं. बिजनौर, सहारानपुर, अमरोहा,गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मुजफ्फरगर, हाथरस, मैनपुरी, हापुड़, आगरा, मथुरा, मुरादाबाद, कन्नौज, संभल, शामली का नाम भी इसमें शामिल हैं.
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