Death from Geyser: गाजियाबाद के मुरादनगर में एक पति-पत्नी की नहाते वक्त मौत होने पर गीजर खुला रहने की बात सामने आ रही है. ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि अगर आप कभी फंस जाएं तो बचने का तरीका क्या है.
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Death from Geyser: गाजियाबाद में होली के दिन एक दर्दनाक घटना सामने आई. यहां मुरादनगर के अग्रेसन विहार के रहने वाले पति-पत्नी की दम घुटने से मौत हो गई. वह बाथरूम में नहाने गए थे और काफी देर तक बाहर नहीं निकले. इसके बाद जब बाथरूम का गेट तोड़ा गया तो वह बेसुध मिले. उनको अस्पताल ले जाया गया, हालांकि, जान बच नहीं पाई.
कभी फंस जाएं तो अपनाएं ये तरीका
शुरुआती जांच में सामने आया कि बाथरूम में गीजर खुला रह गया था, जिसके कारण पूरे बाथरूम में गैस भर गई. उनको ऑक्सीजन नहीं मिली और जान चली गई. हम यह आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि ऐसी घटना गाजियाबाद ही नहीं किसी के भी साथ हो सकती है. ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि अगर ऐसी स्थिति में आप कभी फंस जाएं तो बचने का तरीका क्या है.
गीजर खरीदने से पहले जानें ये बातें
जानकार कहते हैं कि अगर घर के बाथरूम में गीजर लगा है तो हवा के आने-जाने की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए. आईएसआई मार्क वाले नामी कंपनी के छोटे या बड़े गीजर का ही इस्तेमाल करें.
गीजर को ज्यादा देर तक ऑन न रखें
गीजर अगर गैस वाला है तो उसमें एलपीजी (LPG) का इस्तेमाल होता है. ये गीजर खतरनाक कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रो ऑक्साइड बनाते हैं. अगर इस गैस की मात्रा बढ़ जाए तो लोग बेहोश भी हो सकते हैं. बाथरूम बंद रहने और अधिक समय तक गीजर चालू रहने से दम घुट सकता है. ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन नहीं रहती. इसकी चपेट में आया व्यक्ति हिल तक नहीं पाता.
बरतें ये सावधानी
- अगर गैस गीजर लगवाया है तो गीजर और गैस सिलेंडर को बाथरूम से बाहर ही रखें
- गेट बंद करने से पहले बाल्टी में गर्म पानी भर लें
- बाथरूम में हवा के आने-जाने की व्यवस्था होनी चाहिए
- एक सदस्य के नहाने के बाद कुछ देर के लिए बाथरूम का गेट खुला छोड़ दें
- कई लोगों के एक के बाद एक नहाने से बाथरूम में कार्बन मोनोऑक्साइड जमा होने की संभावना बढ़ जाती है.
कार्बन मोनोऑक्साइड क्यों है खतरनाक
जानकार कहते हैं कि यह गैस इंसान को बेहोश कर देती है और दिमाग कोमा जैसी हालत में चला जाता है. ये गैस बॉडी को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले रेड ब्लड सेल्स पर अटैक करती है. जब हम सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन के साथ हीमोग्लोबिन भी मिल जाता है. इसी की मदद से ऑक्सीजन फेफड़ों से होकर शरीर के बाकी पार्ट्स में जाती है. अगर ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम प्रभावित होता है तो दिल की गति बढ़ना, बॉडी टेंपरेचर कम होना, उल्टी और पेट की तकलीफ, लो ब्लड प्रेशर, मितली आना, घबराहट, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
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