Hartalika Teej: तीज व्रत को लेकर महिलाओं में उत्साह, गोरखा समाज में है खास परंपरा
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Hartalika Teej: तीज व्रत को लेकर महिलाओं में उत्साह, गोरखा समाज में है खास परंपरा

Hartalika Teej 2022: 30 अगस्त को हरितालिका तीज है. इससे पहले ही देश के अलग-अलग हिस्सों से तीज की बेहद सुंदर तस्वीरें सामने आ रही हैं. जगह-जगह महिलाएं तीज से पहले सामूहिक रूप से लोक रंग में डूबी नजर आ रही हैं. आइए जानते हैं गोरखा समाज की महिलाएं किस तरह तीज मनाती हैं.

Hartalika Teej: तीज व्रत को लेकर महिलाओं में उत्साह, गोरखा समाज में है खास परंपरा

अमित त्रिपाठी/महाराजगंज: पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला तीज व्रत देश के कोने-कोने में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. देश के अलग-अलग हिस्सों में हरितालिका तीज व्रत को लेकर अलग परंपराएं हैं. महराजगंज के नौतनवा कस्बे में तीज व्रत से एक दिन पहले ही गोरखा समाज की महिलाएं उत्सव के रंग में नजर आईं. व्रती महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए एक जगह इकठ्ठा होकर भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना की. इसके बाद बड़े ही उत्साह के साथ लोक नृत्य किया. 

निर्जला व्रत रखने की परंपरा

हरितालिका तीज व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन होता है. इस साल हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को है. इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं गौरी-शंकर की पूजा करती हैं. आपको बता दे कि गोरखा समाज की सुहागिन महिलाएं जहां सुखी दांपत्य जीवन और पति की दुर्गा के लिए व्रत करती हैं. वहीं अविवाहित लड़कियां मनचाहा वर प्रति प्राप्ति के लिए तीज व्रत रखकर विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं. आज के दिन सैकड़ों की संख्या में गोरखा समाज की महिलाएं इकट्ठा होकर सामूहिक नृत्य करती हैं. गोरखा समाज की महिलाओं का कहना है कि वह तीज व्रत के दो दिन पहले सामूहिक रूप से एक जगह पर एकत्रित होती हैं. इसके बाद निर्जला व्रत रखा जाता है. व्रत की अवधि पूरी होने के बाद एक साथ बैठक प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दौरान सामूहिक लोक नृत्य व लोक गायन की परंपरा है. हरतालिका तीज को सबसे कठिन और संयम वाला व्रत माना जाता है.

खास मुहूर्त में करें पूजन

ऐसी मान्यता है कि इस दिन किसी भी वक्त हरितालिका पूजन किया जा सकता है. लेकिन सुबह और प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इस बार हरतालिका तीज की पूजा का श्रेष्ठ  मुहूर्त सुबह 5 बजकर 57 मिनट से लेकर 8 बजकर 31 मिनट तक बन रहा है. इसके बाद शाम 6 बजकर 33 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल में पूजा का अच्छा मुहूर्त है. 

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