GYANVAPI CASE : ज्ञानवापी मस्जिद -शृंगार मंदिर की याचिका में वो 15 बातें, जो अदालती जंग को मुकाम तक ले गईं
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GYANVAPI CASE : ज्ञानवापी मस्जिद -शृंगार मंदिर की याचिका में वो 15 बातें, जो अदालती जंग को मुकाम तक ले गईं

Gyanvapi Masjid- Shringar Gauri ज्ञानवापी मस्जिद और शृंगार गौरी मंदिर विवाद में फैसले का दूरगामी असर पड़ सकता है. अयोध्या के बाद काशी और मथुरा के मामलों को लेकर सबकी निगाहें टिकी हैं. 

GYANVAPI CASE 12th September 2022  :  ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार मंदिर विवाद

Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी शृंगार गौरी विवाद (Shringar Gauri Mandir) में पूजन-अर्चन की मंजूरी के लिए जो याचिका  दाखिल की थी, उस पर फैसले की घड़ी आ गई है. पांच महिलाओं की ओर से जो याचिका दाखिल की गई थी, उनमें 15 अहम बातें कही गई थीं. इसमें सबसे प्रमुख मांग थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए और सुरक्षित रखा जाए. अदालत में दाखिल अपनी याचिका में उन्होंने पुराणों के साथ ही मंदिर के इतिहास से लेकर उसके संरचना तक का जिक्र किया है.  जिला अदालत (Varanasi Court) के इस फैसले पर देश भर की निगाहें टिकी हुई हैं. इस फैसले से पता चलेगा कि अयोध्या (Ayodhya) के बाद काशी (Kashi Vishwanath Mandir) में ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में अदालती जंग आगे बढ़ेगी या नहीं. उधर, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मामले में भी आज सुनवाई होनी है.

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जानें ये 15 महत्वपूर्ण बातें...

1- प्रार्थना पत्र के अनुसार दशाश्वमेध घाट के पास आदिशेश्वर ज्योतिर्लिंग का एक भव्य मंदिर मौजूद था. इसे लाखों सालों पहले त्रेता युग में स्वयं भगवान शिव ने स्थापित किया था. वर्तमान में यह ज्ञानवापी परिसर प्लाट संख्या 9130 पर स्थित है.
2--पुराने मंदिर परिसर में मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नंदीजी, दृश्य और अदृश्य देवता हैं.
3- मुस्लिम आक्रमणकारियों ने 1193-94 से कई बार मंदिर को नुकसान पहुंचाया. हिंदुओं ने उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण/पुनर्स्थापित किया.
4- सन 1585 में जौनपुर के तत्कालीन राज्यपाल राजा टोडरमल ने अपने गुरु नारायण भट्ट के कहने पर उसी स्थान पर भगवान शिव का भव्य मंदिर बनवाया था. वह स्थान जहां मंदिर मूल रूप से अस्तित्व में था यानी भूमि संख्या 9130 पर केंद्रीय गर्भगृह से युक्त आठ मंडपों से घिरा हुआ था
5-औरंगजेब ने 1669 ईस्वी में मंदिर को ध्वस्त करने का फरमान जारी किया था. भगवान आदि विशेश्वर के प्राचीन मंदिर को आंशिक रूप से तोड़ने के बाद, वहां 'ज्ञानवापी मस्जिद' नामक एक नया निर्माण किया गया था.

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6- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और संस्कृति विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डा. एएस अल्टेकर ने अपनी पुस्तक ''हिस्ट्री ऑफ बनारस'' में मुसलमानों द्वारा प्राचीन काल में बनाए गए निर्माण की प्रकृति का वर्णन किया है.
7--औरंगजेब ने उक्त स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए कोई वक्फ नहीं बनाया था. इसलिए मुसलमानों से संबंधित किसी भी धार्मिक कार्य के लिए भूमि का उपयोग करने का अधिकार नहीं है.
8- भूमि संख्या 9130 पांच क्रोश भूमि के साथ पहले से ही देवता आदिविशेश्वर में लाखों साल पहले ही निहित हो चुकी थी और देवता मालिक हैं. वर्ष 1780-90 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने भगवान शिव का एक मंदिर बनवाया. पुराने मंदिर और भगवान शिव के शिव लिंगम के बगल में एक शिव लिंगम की स्थापना की.
9- सुविधा के लिए रानी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित मंदिर को "नया मंदिर" और श्री आदि विशेश्वर मंदिर को ''पुराना मंदिर'' कहा जा रहा है.
10- कथित ज्ञान वापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पीछे प्राचीन काल से मौजूद देवी श्रृंगार गौरी की छवि है और उनकी लगातार पूजा की जाती है.
11- स्कंदपुराण के अनुसार भगवान विश्वनाथ की पूजा का फल प्राप्त करने के लिए मां देवी श्रृंगार गौरी की पूजा अनिवार्य है.
12- वर्ष 1936 में दीन मोहम्मद की ओर से ज्ञानवापी को लेकर दाखिल मुकदमें में परिसर की पैमाइस एक बीघा नौ बिस्वा छह धूर बताई गई है. इस मुकदमे के गवाहों ने देवी मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और दृश्य और अदृश्य देवताओं की छवियों उसी स्थान पर होने से दैनिक पूजा करने को साबित किया है.
13- उत्तर प्रदेश काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 के तहत मंदिरों, मंदिरों, उप मंदिरों और अन्य सभी छवियों की पूजा करने के अधिकार हिंदुओं को प्राप्त है.
14- मां श्रृंगार गौरी की पूजा को वर्ष में केवल एक बार प्रतिबंधित करने का कोई लिखित आदेश पारित नहीं किया है.
15- हिंदू पक्ष ने मांग किया कि ज्ञानवापी परिसर (आराजी संख्या 9130 ) में मौजूद मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नंदी जी और अन्य दृश्य और अदृश्य देवताओं के दैनिक दर्शन, पूजा, आरती, भोग का अधिकार वादियों को है इसलिए उन्हें ऐसा करने में बाधा पहुंचाने वालों को रोका जाए. साथ ही उन्हें किसी तरह की क्षति पहुंचाने से रोका जाए. वहां सुरक्षा के लिए शासन व जिला प्रशासन को निर्देश दिया जाए.

ये हैं पांच वादी
1. हौजखास नई दिल्ली की राखी सिंह
2. सूरजकुंड लक्सा वाराणसी की लक्ष्मी देवी
3. सरायगोवर्धन चेतगंज वाराणसी की सीता साहू
4. रामधर वाराणसी की मंजू व्यास
5. हनुमान पाठक वाराणसी की रेखा पाठक

प्रतिवादी
1. चीफ सेक्रट्ररी के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार
2. जिलाधिकारी वाराणसी
3. पुलिस कमिश्नर
4. ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद
5. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट

 

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