Umakant Yadav : जौनपुर के पूर्व सांसद उमाकांत यादव को मिली राहत, एमपी एमएलए कोर्ट ने किया बरी
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Umakant Yadav : जौनपुर के पूर्व सांसद उमाकांत यादव को मिली राहत, एमपी एमएलए कोर्ट ने किया बरी

Umakant Yadav : उमाकांत यादव जीआरपी सिपाही की हत्‍या के मामले में जेल की सजा काट रहा है. इससे पहले कोर्ट ने बसपा नेता उमाकांत यादव समेत 7 आरोपितों को दोषी ठहराते हुए आजीवन करावास की सजा सुनाई थी. 

Umakant Yadav : जौनपुर के पूर्व सांसद उमाकांत यादव को मिली राहत, एमपी एमएलए कोर्ट ने किया बरी

Umakant Yadav : जौनपुर के पूर्व सांसद उमाकांत यादव को एमपी एमएलए कोर्ट ने बरी कर दिया है. उमाकांत यादव जीआरपी सिपाही की हत्‍या के मामले में जेल की सजा काट रहा है. इससे पहले कोर्ट ने बसपा नेता उमाकांत यादव समेत 7 आरोपितों को दोषी ठहराते हुए आजीवन करावास की सजा सुनाई थी. वहीं, इससे पहले उमाकांत के भाई विधायक रमाकांत की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. साल 2022 में जहरीली शराब से 13 लोगों की मौत हो गई थी. 

यह है पूरा मामला 
बता दें कि जौनपुर के शाहगंज रेलवे स्टेशन पर 4 फरवरी 1995 को जीआरपी सिपाही रघुनाथ सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था. तहरीर के आधार पर दो बजे हथियारों से लैस होकर सभी आरोपी लॉकअप में बंद चालक राजकुमार यादव को जबरन छुड़ा ले गए थे. इस दौरान अंधाधुंध फायरिंग में सिपाही अजय सिंह यादव की मौत हो गई थी. 

लॉकअप में बंद ड्राइवर को जबरन छुड़ा ले गए थे  
वहीं, हमले में एक अन्य सिपाही, रेल यात्री गोली से घायल हो गए थे. पूर्व सांसद के ड्राइवर राजकुमार यादव ने रेलवे-स्टेशन पर GRP सिपाहियों से अभद्रता की थी. इसके बाद सिपाहियों ने ड्राइवर को GRP चौकी में बैठाए रखा था. राजकुमार यादव अपने रिश्तेदार को ट्रेन में बैठाने गया था. इसके बाद पूर्व सांसद अपने ड्राइवर को छुड़वाने के लिए दल-बल के साथ चौकी पर पहुंचे थे.

तीन बार विधायक रहे उमाकांत यादव
पूर्वांचल की राजनीति में मछलीशहर से बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सांसद उमाकांत यादव बहुचर्चित नेता हैं. उमाकांत यादव की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है. उमाकांत खुटहन से लगातार तीन बार विधायक रहे. उमाकांत 1991 में पहली बार बसपा से खुटहन विधानसभा (अब शाहगंज विधानसभा) से विधायक बने थे.

बसपा के बाद सपा का दामन थामा  
इसके बाद 1993 में वे सपा-बसपा गठबंधन से दूसरी बार इसी सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद चार फरवरी 1995 को जीआरपी सिपाही हत्याकांड हुआ. हालांकि 1996 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद उमाकांत यादव बसपा का साथ छोड़कर समाजवादी पार्टी में चले गए. खुटहन से सपा के ही टिकट पर विधायक बने थे.

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