जौनपुर के शिक्षक अशोक कुमार बने मिसाल :स्कूल में 8 गुना पहुंचा दी छात्रों की तादाद, प्राइवेट स्कूलों के छूटे पसीने
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जौनपुर के शिक्षक अशोक कुमार बने मिसाल :स्कूल में 8 गुना पहुंचा दी छात्रों की तादाद, प्राइवेट स्कूलों के छूटे पसीने

सरकारी स्कूलों का जिक्र आते ही आपके जेहन में खस्ताहाल इमारत और असुविधाओं की तस्वीर उभरती होगी. लेकिन जौनपुर में एक टीचर ने प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त होते ही कुछ ऐसा कर दिखाया कि शिक्षक दिवस पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया है.

जौनपुर के शिक्षक अशोक कुमार बने मिसाल :स्कूल में 8 गुना पहुंचा दी छात्रों की तादाद, प्राइवेट स्कूलों के छूटे पसीने

अजीत सिंह/जौनपुर:  कभी जिस प्राथमिक विद्यालय की छात्रों की संख्या 100 से भी कम थी, वहां एक शिक्षक के अथक प्रयास से अब छात्र संख्या 850 पहुंच जाना कोई आम बात नहीं है. एक तरफ जहां अभिभावकों का मोह सरकारी स्कूल से भंग हो चुका है. वहीं शाहगंज तहसील के सबरहद कंपोजिट विद्यालय में बच्चों के दाखिले की लंबी कतार लग जाती है. कुछ समय पहले इस विद्यालय में सिर्फ 75 छात्र ही पढ़ते थे. ऐसे में जब अशोक कुमार की तैनाती वहां हुई तो उन्होंने मेहनत करना शुरु कर दिया. उन्होंने एक-एक बच्चे पर ध्यान देना शुरू किया.

अशोक कुमार ने बनाई रणनीति

सभी शिक्षकों को अलग-अलग बच्चों की कमजोरियों और क्षमता के अनुसार अतिरिक्त शैक्षणिक कार्य दिया गया. इससे न सिर्फ स्कूल का रिजल्ट सुधरा बल्कि प्राथमिक विद्यालय में 850 बच्चों ने दाखिला ले लिया है. अशोक कुमार को उनकी इस लगन के लिए उन्हें जौनपुर राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. शिक्षक अशोक कुमार को शाल और प्रशस्ति पत्र देकर जिलाधिकारी ने सम्मानित किया. 

राज्य शासन के निर्देश पर हुआ सम्मान
मीटिंग हॉल में आयोजित इस सम्मान समारोह में जिले भर के कई और भी शिक्षक उपस्थित रहे. राज्य सरकार के निर्देश पर उन्हें जिलाधिकारी ने कलेक्ट्रेट के मीटिंग हॉल में सम्मानित किया है. जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री का आदेश था कि शिक्षक सम्मान दिवस के अवसर पर जिन लोगों का लखनऊ में सम्मान नहीं हो पा रहा है उनका जिले स्तर पर सम्मान दिया जाए. उसी क्रम में जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने सबरहद निवासी एक शिक्षक अशोक कुमार को राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित किया गया. सरकार शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने को लेकर कई योजनाएं संचालित करती है. लेकिन कई बार निचले स्तर पर अधिकारी कर्मचारियों की उदासीनता की वजह से उसका ठीक तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पाता है. अशोक कुमार ऐसे लोगों के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि वह चाहें तो विपरीत परिस्थितियों  में भी बदलाव लाया जा सकता है.

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