Jaunpur: अपने पूर्वजों को खोजने वेस्टइंडीज से जौनपुर के बरसठी पहुंची महिला, 142 साल पहले परदादा को अंग्रेज ले गए थे आस्ट्रेलिया
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Jaunpur: अपने पूर्वजों को खोजने वेस्टइंडीज से जौनपुर के बरसठी पहुंची महिला, 142 साल पहले परदादा को अंग्रेज ले गए थे आस्ट्रेलिया

Jaunpur News:  परिवार के लोग इस समय कई देशों में वेस्टइंडीज के गयाना, कनाडा,व साउथ अफ्रीका रह रहे हैं.  निर्मला के पिता गणेश, और दादा का नाम शिवदयाल है. 

Jaunpur: अपने पूर्वजों को खोजने वेस्टइंडीज से जौनपुर के बरसठी पहुंची महिला, 142 साल पहले परदादा को अंग्रेज ले गए थे आस्ट्रेलिया

अजीत सिंह/जौनपुर: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जौनपुर बरसठी थाना इलाके के बारीगांव गांव में वेस्टइंडीज (West Indies) से एक महिला निर्मला, तीन पीढ़ियों बाद अपने पूर्वजों को खोजने के लिए पहुंची. लेकिन उन्हें पूर्वजों का पता नहीं लग पाया. महिला ने पूरे गांव में घूमकर सबसे मुलाकात की और ग्राम प्रधान के घर भोजन किया. गांव में रहने के बाद वह इलाहाबाद इस्कॉन मंदिर (Allahabad ISKCON Temple) पर चली गईं.

परदादा को ले गए थे ऑस्ट्रेलिया
महिला ने बताया कि वर्ष 1880 में अंग्रेज शासन (British)  में इनके परदादा रहे. विश्वनाथ यादव को अंग्रेज अपने साथ ऑस्ट्रेलिया (Australia) ले गए थे,तभी से वहां वह लोग रह रहे हैं.  परिवार के लोग इस समय कई देशों में वेस्टइंडीज के गयाना, कनाडा,व साउथ अफ्रीका रह रहे हैं.  निर्मला के पिता गणेश, और दादा का नाम शिवदयाल है. 

भारतीय दूतावास से किया संपर्क
ग्राम प्रधान अर्जुन यादव ने बताया कि निर्मला ने भारतीय दूतावास से संपर्क किया. उन्होंने अपने परदादा के जन्मस्थान को देखने और परिवार का पता लगाने की इच्छा जाहिर की. उन्होंने बताया कि दूतावास के जरिये डीएम जौनपुर से सम्पर्क किया. निर्मला जिलाधिकारी से बात करने के बाद बरसठी थाने पहुंची. वहां मौजूद ग्राम प्रधान अर्जुन यादव महिला को अपने साथ गांव ले गए. 

निर्मला (Nirmala) गांव में पहुंचकर काफी प्रभावित हुई. उन्होंने गांव के लोगों से मुलाकात की और अपने साथ लाये प्रसाद के रूप में सभी को मिठाई दी. इसके बाद ग्राम प्रधान अर्जुन यादव के घर पर भोजन किया. निर्मला यहां के लोगों से प्रभावित होकर फिर से बारीगांव गांव आने के लिए कहकर गईं. ग्राम प्रधान (Gram Pradhan) ने बताया कि अभी उनके परिवार का पता नहीं लग पाया है. लेकिन उन्होंने हमें ही अपना परिवार और  घर मान लिया है. वह दोबारा आने को कहकर वापस इलाहाबाद स्थित इस्कॉन मंदिर चली गयी हैं.

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