रविवार को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त 13 राज्यों के नये राज्यपालों में एक नाम अब्दुल नजीर का भी है. उन्हें आंध्रप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. आइए जानते हैं कौन हैं अब्दुल नजीर और क्यों चर्चा में रहे हैं.
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लखनऊ: रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बड़ा फेरदबल करते हुए 13 राज्यों में नये राज्यपालों की नियुक्तियां की हैं. इसी में एक नाम रिटायर जस्टिस अब्दुल नजीर ( Justice Abdul Nazir)का है. अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस अब्दुल नजीर को आंध्रप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. वह अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच का हिस्सा थे. रिटायरमेंट के वक्त विदाई भाषण में उन्होंने कहा था कि 2019 को अयोध्या केस में अगर वो दूसरों से अलग फैसला सुनाते तो शायद अपने समुदाय में हीरो कहलाते लेकिन, देशहित सर्वोपरी है.
4 जनवरी को उनके रिटायर होने के ठीक पांच सप्ताह बाद नामांकन आता है. जस्टिस नज़ीर पांच-न्यायाधीशों की बेंच से तीसरे न्यायाधीश हैं जिन्होंने सरकार से रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति प्रदान की है. पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, जिन्होंने खंडपीठ का नेतृत्व किया था ,इनको राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित किया गया था, जस्टिस अशोक भूषण को उनके रिटायरमेंट के चार महीने बाद 2021 में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
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1983 से वकालत के पेश में आए
जस्टिस नजीर का जन्म 5 जनवरी, 1958 को हुआ था और उन्होंने 18 फरवरी, 1983 को वकालत पेशे की शुरुआत की थी. 17 फरवरी, 2017 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस के रूप में प्रमोशन मिला था. अल्पसंख्यक समुदाय के एक जस्टिस को शामिल करने और बेंच में विविधता तय करने के कदम के रूप में कोलेजियम से उनकी सीधी पदोन्नति को उचित निर्णय करार दिया गया था. 2014 में पिछले कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने पी सदाशिवम को भी राज्यपाल बनाया था. उन्हें केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.
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