काशी की कहानी: गांधी ने 118 साल पहले देखा था भव्य विश्वनाथ धाम का सपना, मोदी ने सच कर दिखाया
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काशी की कहानी: गांधी ने 118 साल पहले देखा था भव्य विश्वनाथ धाम का सपना, मोदी ने सच कर दिखाया

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishawanath Temple) ने जुड़ी एक रोचक कहानी (intersting story) हम आपको सुना रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi)ने विश्वप्रसिद्ध इस मंदिर को भव्यता देने प्रयास तो किए ही हैं, पर काशी विश्वनाथ मंदिर को शानदार स्वरूप में देखने का सपना सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की आंखों ने देखा था.

कभी ऐसी तंग हुआ करती थी मंदिर मार्ग की गलियां, गांधी ने इनका ही जिक्र किया था (फाइल फोटो)

वाराणसी. आज पूरे वाराणसी में और देश भर में बाबा विश्वनाथ (Kashi Vishawanath Temple) के भव्य कॉरिडोर की चर्चा हो रही है. प्रधानमंत्री (Prime Minister Modi) इसे लोकार्पित करने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वप्रसिद्ध इस मंदिर को भव्यता प्रदान करने में अपनी ओर से विशेष प्रयास तो किए ही हैं, पर काशी विश्वनाथ मंदिर (Varanasi Vishawanath Temple) को इस शानदार स्वरूप में देखने का सपना सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की आंखों ने देखा था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बाबा भोलेनाथ की नगरी से बहुत अपनापन रखते थे. उनके दिल में धर्म के इस सनातन स्थल का खास स्थान था. वे 11 बार काशी (Kashi) के प्रवास पर आए थे और कुछेक मौकों पर वह काशी के बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए गए थे.

कैसे जाहिर की थी गांधी ने इच्छा
महात्मा गांधी के काशी आने के बारे में जो जानकारियां उपलब्ध हैं उनके अनुसार उन्होंने यहां की  पहली यात्रा 1903 में की थी. अपने पहले ही प्रवास में वह काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishawanath Temple) में दिव्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु गए. जब वे मंदिर मार्ग पर जा रहे थे तो वहां की संकरी गलियों में व्याप्त गंदगी और जरा सी जगह में लोगों की धक्का मुक्की देखकर काफी व्यथित हुए. वह अपने सहयोगियों से इससे बेहतर होने की संभावनाओं के बारे में पूछने लगे. 
 1916 में महात्मा गांधी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने यहां एक बार फिर से आए. इस बार भी उन्होंने विश्वनाथ धाम की गलियों में अस्त व्यस्त स्थिति और गंदगी को देखा. यहां की ऐसी तस्वीर को उन्होंने बीएचयू (BHU) के स्थापना दिवस समारोह पर अपने भाषण में सामने रख दिया. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थिति का वर्णन करते हुए हमारे देश की तत्कालीन दशा और भारतीय समाज की स्थिति पर तंज भी कस दिया. उन्होंने कहा कि इस विश्व विख्यात मंदिर में दुनिया भर के लोग आते हैंं,वे मंदिर की स्थिति देखकर हमारे देश और उसके निवासियाें के बारे में क्या सोच लेकर जाएंगे. ऐसी गंदगी और अस्वच्छता को देखकर वह हमारी और हमारे देश की हर ओर निंदा ही करेगा. बापू ने कहा था कि आगे भी मंदिर का यही हाल रहा तो न जाने देश का कैसा हाल होगा. अब आज हम देख रहे हैं कि मंदिर का हाल आखिरकार बदल गया है.

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मोदी ने किया था इस सपने का जिक्र 
बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 8 मार्च 2019 को विश्वनाथ धाम के इस भव्य कॉरिडोर की नींव रखी थी तो उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इस सपने का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि वह विश्वनाथ मंदिर को पूरी दुनिया में आदर्श दिखने वाले स्वरूप में परिवर्तित करके बापू के इस सपने को पूरा करने जा रहे हैं. अब बापू की परिकल्पना के 118 साल बाद और मोदी के उस उद्बोधन के लगभग 32 महीने बाद महात्मा गांधी का यह सपना पूरा होने जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी तीर्थ स्थलों के अलावा घरों और अन्य सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ रखने की बात हमेशा कहा करते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में चलाए गए स्वच्छता अभियान की प्रेरणा भी बापू के इसी विचार को ध्यान में रखकर की थी.

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