लखीमपुर हिंसा केस: सुनवाई पूरी, सुमित जायसवाल समेत चारों आरोपियों की पुलिस कस्टडी पर फैसला सुरक्षित
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लखीमपुर हिंसा केस: सुनवाई पूरी, सुमित जायसवाल समेत चारों आरोपियों की पुलिस कस्टडी पर फैसला सुरक्षित

आज सुमित जायसवाल (Sumit jaiswal) सहित चार आरोपियों की पुलिस कस्टडी पर सुनवाई पूरी हो गई. एसआईटी ने 14 दिन की रिमांड मांगी थी जिस पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सीजीएम ने फैसला सुरक्षित रख दिया. 

लखीमपुर हिंसा केस: सुनवाई पूरी, सुमित जायसवाल समेत चारों आरोपियों की पुलिस कस्टडी पर फैसला सुरक्षित

दिलीप मिश्रा/लखीमपुर: लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri violence) मामले में आज सुमित जायसवाल (Sumit jaiswal) सहित चार आरोपियों की पुलिस कस्टडी पर सुनवाई पूरी हो गई. एसआईटी ने 14 दिन की रिमांड मांगी थी जिस पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सीजीएम ने फैसला सुरक्षित रख दिया. 

अभियोजन पक्ष की मांग खारिज 
वहीं दूसरी तरफ अभियोजन पक्ष ने आशीष मिश्रा अंकित दास और लतीफ की दोबारा 3 दिन की रिमांड मांगी थी जिस पर सीजेएम कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की मांग खारिज कर दी.

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कब क्या हुआ?
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में पर्यवेक्षण टीम ने भाजपा पार्षद सुमित जायसवाल उर्फ मोदी समेत 4 और आरोपियों को 18 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. उनके पास से एक लाइसेंसी रिवाल्वर समेत तीन कारतूस भी बरामद किए गए. आरोप है कि 3 अक्तूबर को ये घटनास्थल पर मौजूद थे. सुमित जायसवाल इस घटना के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा का करीबी है. 

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घटना के समय जीप में सवार था सुमित
थार जीप से उतरकर भागने का वीडियो वायरल होने के बाद से पुलिस सुमित की तलाश कर रही थी. इस मामले में अब तक कुल 10  लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. तिकुनिया कांड में दोनों पक्षों से दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं. दूसरे मुकदमे में सुमित जायसवाल मोदी स्वयं वादी है. घटना के वक्त सुमित थार जीप में सवार था, जिससे उसे अहम गवाह माना जा रहा है. क्योंकि किसानों को कुचलने में थार जीप का रोल सामने आया था, जिसके वीडियो भी वायरल हुए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए थे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के आरोपियों को गिरफ्तार ना करने के कदम पर सवाल उठाए थे और साक्ष्यों को संरक्षित रखने का निर्देश दिया था. पीठ ने कहा था कि कानून सभी आरोपियों के खिलाफ समान रूप से लागू होना चाहिए और आठ लोगों की बर्बर हत्या की जांच में विश्वास जगाने के लिए सरकार को इस संबंध में सभी उपचारात्मक कदम उठाने होंगे.

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