भारत में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को अलग अलग नाम से जाना जाता है. एक ओर जहां उत्तर भारत में इसे खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं तो तमिलनाडु में इसे पोंगल और गुजरात में उत्तरायण कहा जाता है.
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Makar Sankranti 2022: सनातन धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन स्नान दान कर भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है. इस बार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पावन पर्व 14 जनवरी 2022, शुक्रवार को है. इस दिन सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने से खरमास की समाप्ति होती है और सभी मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है.
दो तिथियों को लेकर उलझन
मकर संक्रांति पर इस बार दो तिथियों को लेकर लोग उलझन में हैं. हालांकि संक्रांति तब शुरू होती है जब सूर्य देव राशि परिवर्तन कर मकर राशि में पहुंचते हैं. इस बार सूर्य देव 14 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर गोचर कर रहें हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूर्य अस्त से पहले यदि मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे. तो इसी दिन पुण्यकाल रहेगा. कुछ पंचागों के अनुसार 14 जनवरी तो कुछ के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना शुभ है.
भारत में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को अलग अलग नाम से जाना जाता है. एक ओर जहां उत्तर भारत में इसे खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं तो तमिलनाडु में इसे पोंगल और गुजरात में उत्तरायण कहा जाता है.
सूर्यदेव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व
इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान दान कर सूर्यदेव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक से असुरों का संहार किया था. भगवान विष्णु की जीत को मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के रूप में मनाया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है.
जानें मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है. ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन तांबे के लोटे से सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से पद और सम्मान में वृद्धि होती है. शारीरिक और आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है. भगवान सूर्य का आशीर्वाद मिलता है. उत्तरायण से दिन बड़ा और रात्रि छोटी होनी शुरु हो जाती है. इस दिन से खरमास (Kharmas) खत्म हो जाता है.
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दान-पुण्य का विशेष महत्व
मकर संक्रांति के दिन को स्नान, दान और ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन तिल के दान का अधिक महत्व है. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और सूर्य छह माह दक्षिणायन में रहने के बाद उत्तरायण में हो जाते हैं. मकर संक्रांति के दिन ग्रहों के राजा सूर्य धनु राशि को छोड़कर अपने पुत्र शनि की राशि में आते हैं. सूर्य और शनि का संबंध मकर संक्रांति के पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण पर्व होता है. शुक्र ग्रह का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए इस पर्व के बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्यो की शुरुआत हो जाती है.
मकर संक्रांति के दिन कैसे करें पूजा?
मकर संक्रांति के दिन वैसे तो पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है. अगर ऐसा संभव नहीं हो तो इस दिन नहाने के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान कर सकते है, वह भी गंगा स्नान जैसा ही पुण्य देता है. स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें. लाल फूल और अक्षत चढ़ाएं. सूर्य बीज मंत्र का जाप करें. इस दिन गीता पाठ भी करना चाहिए.
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त सूर्य के संक्रांति समय से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल होता है. इस बार पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो शाम को 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. वहीं स्थिर लग्न यानि महापुण्य काल मुहूर्त की बता करें तो यह मुहूर्त 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हम इनकी पुष्टि नहीं करते हैं. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.
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