निर्भया को न्याय दिलाने वाली Adv. Seema Samriddhi करेंगी मनीष गुप्ता केस की पैरवी
मनीष हत्याकांड: सीमा समृद्धि अब बिना कोई फीस लिए मनीष मर्डर (Manish Murder Case) का केस लड़ेंगी. उन्होंने फेसबुक लाइव के जरिए लोगों से मृतक मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की मदद करने की अपील की.
श्याम तिवारी/कानपुर: निर्भया को इंसाफ दिलाने और दोषियों को फांसी दिलाने में सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा समृद्धि की बड़ी भूमिका निभाई थी. सीमा समृद्धि अब बिना कोई फीस लिए मनीष मर्डर (Manish Murder Case) का केस लड़ेंगी. पुलिस की पिटाई से मनीष की मौत के बाद उसे इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा समृद्धि ने ली है. सीमा ने फेसबुक लाइव के जरिए लोगों से मृतक मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की मदद करने की अपील की.
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इंसाफ दिलाने के लिए लड़ेंगी केस-सीमा
इस दौरान उन्होंने कहा कि वह मीनाक्षी के अधिवक्ताओं का सहयोग करेंगी और न्याय की लड़ाई में उसका भरपूर साथ देंगी. एडवोकेट सीमा समृद्धि ने कहा कि वह भी मनीष को इंसाफ दिलाने के लिए केस लड़ेगी. मनीष की पत्नी ने उनसे इंसाफ के लिए मदद की गुहार लगाई थी जिसके बाद उन्होंने उनकी मदद करने का फैसला किया है.
कौन हैं सीमा समृद्धि?
देश के नामी शिक्षण संस्थानों में से एक दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल करने वालीं सीमा ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी. सीएम 24 जनवरी, 2014 को निर्भया ज्योति ट्रस्ट से जुड़ी थीं इसके बाद से वह लगातार इससे जुड़ी हुई हैं. इसके साथ ही वह हाथरस रेप कांड, उन्नाव गैंग रेप सहित कई चर्चित केसों को लड़ने का एलान कर चुकीं हैं. निर्भया को इंसाफ दिलाने और दोषियों को फांसी दिलाने में सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा समृद्धि की बड़ी भूमिका थी. वह केस की शुरुआत से ही निर्भया की माता-पिता की वकील रहीं.
ऐसे ट्रांसफर होगा केस
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कानपुर प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता के सनसनीखेज हत्याकांड का ट्रायल गोरखपुर से दिल्ली ट्रांसफर हो सकता है. दरअसल, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी धारा 406 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है कि वह किसी केस या अपील को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर कर सकता है. धारा 406 के अनुसार जब भी सुप्रीम कोर्ट को यह बताया जाता है कि न्याय के लिए यह जरूरी है कि किसी विशेष मामले या अपील को एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट या किसी हाईकोर्ट के अधीनस्थ आपराधिक न्यायालय में ट्रांसफर किया जाए, वह इसके निर्देश दे सकता है.
27 सितंबर को हुई थी घटना
बता दें कि कानपुर के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता अपने 2 साथियों के साथ काम के सिलसिले में गोरखपुर गए थे. वे 27 सितंबर को गोरखपुर में कृष्णा इन नाम के होटल में ठहरे थे. तभी एसएचओ जगत सिंह नारायण और उनके साथ के पुलिस वालों ने रात 12 बजे चेकिंग के नाम पर उन्हें जगाया. जब उन्होंने विरोध किया तो उन्हें पकड़कर थाने ले जाया गया. आरोप है कि वहां पर पीट-पीटकर उनकी हत्या (Manish Gupta Murder Case) कर दी गई. इस घटना के बाद मृतक की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की गुहार पर योगी सरकार ने जांच कानपुर ट्रांसफर कर दी है. 10 अक्टूबर की शाम रामगढ़ताल पुलिस ने इंस्पेक्टर जेएन सिंह और दरोगा अक्षय मिश्रा को गिरफ्तार किया गया. 12 अक्टूबर को पुलिस ने दरोगा राहुल दुबे और कांस्टेबल प्रशांत कुमार को गिरफ्तार किया. 13 अक्टूबर को पुलिस ने मुख्य आरक्षी कमलेश यादव को गिरफ्तार किया और 16 अक्टूबर को पुलिस ने आखिरी आरोपी दरोगा विजय यादव को गिरफ्तार कर लिया.
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